हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
यदुवंशियों की आपसी फूट मिटाकर उनमें एकता स्थापित करेगा, अतः इसे संकर्षण भी कहा जाएगा. बलराम को योगमाया ने देवकी के गर्भ से खींच लिया था इसलिए भी वह संकर्षण कहे जाते हैं.
गंगाचार्य ने यशोदा और नंदजी से कहा- तुम्हारा पुत्र अवतार ग्रहण करता रहता है. कभी इसका वर्ण श्वेत, कभी लाल, कभी पीला होता है. इस बार कृष्णवर्ण का हुआ है अतः इसका नाम कृष्ण होगा.
तुम्हारे पुत्र के नाम और रूप गिनती के परे हैं. उनमें से गुण और कर्म अनुरूप कुछ को मैं जानता हूँ। दूसरे लोग यह नहीं जान सकते. यह गोकुल को आनंदित करता हुआ तुम्हारा कल्याण करेगा. इसके द्वारा तुम भारी विपत्तियों से भी मुक्त रहोगे.
यह सबके लिए वंदनीय होगा. इसके कृपापात्रों को शत्रु पराजित नहीं कर सकेंगे जिस तरह विष्णु के भजने वालों को असुर नहीं पराजित कर सकते. तुम्हारा पुत्र सौंदर्य, कीर्ति, प्रभाव आदि में विष्णु के सदृश होगा. अतः इसका पालन-पोषण सावधानी से करना.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.