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बुद्ध ने एक नगर में डेरा डाला. उनके शिष्यों ने एक स्त्री के कर्कश स्वभाव की चर्चा की और कहा जब भी वे उसके घर के आगे से गुजरते हैं, वह किसी न किसी पर चिल्ला रही होती है. अपमान के भय से वे उसके घर भिक्षा मांगने नहीं गए.
बुद्ध ने स्वयं उस घर से भिक्षा मांगने का निर्णय़ किया. अगले दिन पहुंचे और भिक्षा मांगी. स्वभाव के अनुकूल वह नौकरों पर किसी वजह से बरस रही थी. बुद्ध पुकारते रहे. इससे वह चिढ़ गई और बोली- थोड़ी प्रतीक्षा नहीं कर सकते? प्राण निकल रहे हैं!
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