December 7, 2025

भागवत कथाः बलरामजी द्वारा धेनुकासुर संहार

Shree_krishna_balaramji
अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें

बलराम और श्रीकृष्ण पौगण्ड-अवस्था यानी पांच वर्ष पूरे करने के बाद छठे वर्ष में प्रवेश कर चुके थे. नंदबाबा से जिद करके उन्होंने बछड़ों की जगह गाएं चराने की अनुमति ले ली थी. बलराम और श्रीकृष्ण के सखाओं में एक का नाम था- श्रीदामा.

एक दिन श्रीदामा ने बलराम और श्रीकृष्ण से कहा- बलरामजी. तुम तो असीम बाहुबल से भरे हो. कन्हैया भी दुष्टों को दंड देते रहते हो. हमारे वृंदावन के समीप ही एक दुष्ट का वास है. वह लोगों को सताता रहता है. उसे भी दंड दो.

बलराम के पूछने पर श्रीदामा ने बताया- पास में ताड़ का एक वन है जो सदा फलों से लदा रहता हैं. वहां धेनुक नामक दुष्ट दैत्य का वास है जो गधे के रूप में रहता है. वह फल खाने नहीं देता. कन्हैया! हमें उन फलों को खाने की बड़ी इच्छा है.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

Share: