श्रीकृष्ण के सभी स्वरूप कल्याणकारी हैं. उनके चमत्कारिक स्वरूपों के दुर्लभ मन्त्रों, भागवत महापुराण व अन्य पुराणों में वर्णित कृष्ण लीलाएं, संपूर्ण गीता ज्ञान के लिए डाउनलोड करें “कृष्ण लीला” एंड्राइड एप्प.

पौराणिक कथाएँ, व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र, गीता ज्ञान-अमृत, श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ने के हमारा लोकप्रिय ऐप्प “प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प” डाउनलोड करें.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
[sc:fb]

प्रकृत्य ऋषि का रोज का नियम था कि वह नगर से दूर जंगलों में स्थित शिवमंदिर में भगवान् शिव की पूजा में लींन रहते थे. कई वर्षो से यह उनका अखंड नियम था.

उसी जंगल में एक नास्तिक डाकू अस्थिमाल का भी डेरा था. अस्थिमाल का भय आसपास के क्षेत्र में व्याप्त था. अस्थिमाल बड़ा नास्तिक था. वह मंदिरों में भी चोरी-डाका से नहीं चूकता था.

एक दिन अस्थिमाल की नजर प्रकृत्य ऋषि पर पड़ी. उसने सोचा यह ऋषि जंगल में छुपे मंदिर में पूजा करता है, हो न हो इसने मंदिर में काफी माल छुपाकर रखा होगा. आज इसे ही लूटते हैं.

अस्थिमाल ने प्रकृत्य ऋषि से कहा कि जितना भी धन छुपाकर रखा हो चुपचाप मेरे हवाले कर दो. ऋषि उसे देखकर तनिक भी विचलित हुए बिना बोले- कैसा धन? मैं तो यहाँ बिना किसी लोभ के पूजा को चला आता हूं.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here