Saturday, April 26, 2025
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परमार्थ में तलाशें, अपनों का सुखः अमीर आदमी के स्वर्गवासी पुत्र ने पिता को दी उपयोगी सीख

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एक आदमी अपनी पत्नी और बेटे के साथ सुखमय जीवन बिता रहा था. धन-दौलत की कमी न थी. इसलिए सारी सुख-सुविधाएं उपलब्ध थीं.

उस व्यक्ति का संसार अपने परिवार तक सीमित था. वह किसी का अहित तो नहीं करता था लेकिन किसी पर उपकार करने में भी उसे यकीन न था.

एक बार उसकी पत्नी बीमार पड़ी. उसने बहुत ईलाज कराया. नामी डॉक्टर आए लेकिन जान नहीं बची. पत्नी की मौत से वह टूट गया.

उसका दायरा पहले से ज्यादा संकुचित हो गया. उसे लगने लगा कि अगर उसकी मृत्यु हो गई तो बेटे का क्या होगा.

यह सोचकर वह बेटे के लिए खूब धन जमा करने लगा. वह वह पहले से भी ज्यादा स्वयं की चिंता करने वाला हो चुका था.

ईश्वर की मर्जी कुछ और थी. एक बार बेटा भी बीमार पड़ा और लाख ईलाज के बाद वह भी नहीं बचा.

अब तो इस व्यक्ति के पास जीने का कोई बहाना ही नहीं बचा था. वह रोज ईश्वर से शिकायत करता कि उसे ऐसा अकेला क्यों कर दिया, वह किसके लिए जिए, किसके लिए कमाए.

अब तो उसने घर से निकलना तक बंद कर दिया. दिनभर रोता रहता, ईश्वर और अपने भाग्य को कोसता रहता.

एक दिन रोते-रोते उसकी आंख लग गई. सपने में स्वर्ग में उसे अपनी पत्नी दिखी. उसने पत्नी को पुकारा लेकिन पत्नी ने अनसुना कर दिया.

वह उसके पीछे भागा और रास्ता रोककर खड़ा हो गया. पत्नी ने पहचानने से मना कर दिया. वह रोने लगा तो पत्नी ने रोने का कारण पूछा.

उसने कहा- मैं तुम्हारे लिए दिनभर रोता रहता हूं लेकिन तुम मुझे पहचानने तक से इंकार कर रही हो.

पत्नी बोली- मरने के बाद भी मैं कई रूपों में तुम्हारे पास आई थी लेकिन तुमने मुझे नहीं पहचाना. मुझे दुत्कार कर भगा दिया.

उसे पत्नी की बात पर बड़ा क्रोध आया. उसने कहा- तुम्हें स्वर्ग के सुख इतने भाग गए हैं कि मुझपर झूठा आरोप लगाकर भाग रही हो.

पत्नी बोली- मैंने ईश्वर से तुमसे मिलने की प्रार्थना की. उन्होंने मेरी आत्मा को थोड़ी देर के लिए किसी न किसी जीव में डालकर भेजा पर तुम पहचान नहीं पाए.

मैं कभी प्यासी गाय तो कभी भूखे बच्चे के रूप में आती थी लेकिन तुमने दुत्कार कर भगा दिया था. इसलिए अब मेरे बारे में सोचना बंद करो.

दुखी मन से वह आगे बढ़ा तो उसे बच्चों के जुलूस में खड़ा अपना बेटा दिखाई दिया.

सभी बच्चों के हाथों में जलते दिए थे सिर्फ उसके बेटे के हाथ का दीपक बुझा हुआ था. उसे ईश्वर की नाइंसाफी पर क्रोध आया.

वह अपने बेटे के पास पहुंचा और बुझे दीपक के बारे में पूछा.

बेटे ने कहा- मैं जब भी दीपक जलाता हूं, मुझे याद करके बहाए आपके आंसू इसे बुझा देते हैं. आपके कारण मृत्यु के बाद भी कष्ट हो रहा है.

इतने में उस व्यक्ति की नींद खुल गई. उसे समझ में आ गया कि ईश्वर ने स्वार्थी होने के कारण इतना कष्ट दिया. उसका स्वार्थ मरने के बाद भी उसके प्रियजनों को दुख दे रहा है.

उस व्यक्ति ने पुत्र के लिए कमाई सारी संपत्ति परमार्थ के कार्य में लगाने का फैसला किया. उसने अनाथ बच्चों को सहारा दिया. इस तरह उसे एक साथ कई पुत्र मिल गए.

ईश्वर आपके प्रियजनों के साथ आपका संबंध एक अवधि के लिए तय करता है. उस समय को बढ़ाने के शायद और तरीके भी हो सकते हैं.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

सबसे जरूरी है आशा का दीपक. वह शांति, विश्वास व प्रेम के बुझे दीपक को फिर से जला सकता हैः जीवन के लिए एक प्रेरक कथा

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रात का समय था. चारों तरफ गहरी खामोशी थी. एक घर में चार दीये जल रहे थे. दीये उदास थे. एकांत मिलते ही दीयों ने एक दूसरे से दिल की बात कहनी शुरू की.

पहले दीये ने कहा- मैं शांति हूँ. पर अब मुझे लगने लगा है अब इस दुनिया को शायद मेरी ज़रुरत नहीं है.

क्रोध और उत्तेजना ने इस तरह सबको जकड़ लिया है कि चारों तरफ आपाधापी और लूटमार मची हुई है. मैं यहाँ अब और नहीं रह सकता.

इतना कहकर दुखी मन से सबको विदा कहता वह शांति का दीपक बुझ गया.

दूसरे दीये ने कहना शुरू किया- मैं विश्वास हूँ. दुनिया के झूठ और फरेब के बीच मेरा दम घुटने लगा है. शायद यहाँ मेरी कोई ज़रूरत नहीं है.

मुझे भी शांति की तरह अब यहां से विदा हो लेना चाहिए. विश्वास के दीपक ने भी सबको अलविदा कहा और बुझ गया.

अब तीसरे दीये ने अपना दुखड़ा सुनाना शुरू किया. दो साथियों के बिछड़ने से उसका मन बहुत उदास हो चुका था.

उसने कहा- मैं प्रेम का दीपक हूं. मेरे पास जलते रहने की शक्ति है लेकिन आज हर कोई इतना व्यस्त है कि मेरे लिए किसी के पास फुर्सत ही नहीं.

दूसरों की बात कौन करे, लोग अपनों से भी प्रेम करना भूलते जा रहे हैं. यह सब अब मेरे बर्दाश्त के बाहर हो चुका है. शांति और विश्वास की तरह अब मेरा मन भी इस दुनिया में नहीं लगता.

मैं भी अब इस दुनिया से विदा लेता हूं. इतना कहकर प्रेम के दीपक ने चौथे दीपक की ओर देखा, डूबते मन से हाथ हिलाया और बुझ गया.

तीसरे दीपक के बुझने के बाद एक छोटा मासूम बच्चा वहां आया. वह शांति, विश्वास और प्रेम के दीपक को बुझा हुआ देखकर रोने लगा.

वह रोते हुए कह रहा था- तुम इतनी जल्दी क्यों बुझ गए. मैं तो इस दुनिया में तुम्हारे भरोसे ही आया था. तुम्हें तो जीवनभर मेरे साथ चलना था. अब मुझे राह कौन दिखाएगा?

तभी चौथे दीये ने कहा- प्यारे बच्चे निराश न हो. मैं आशा का दीपक हूँ और जब तक मैं जल रहा हूँ, हम दूसरे दीपकों को कोशिश करके फिर से जला सकते हैं.

बच्चे की आंखों में चमक आ गई. उसने कोशिश करके आशा के बल पर शांति, विश्वास और प्रेम का दीपक फिर से जला दिया.

जब हमारे आसपास सबकुछ खत्म होता दिखने लगे तब भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. शायद इस हमारे लिए आशा का कोई ऐसा दीपक जला दें जिसके दम पर हम अपने जीवन में खुशियों के असंख्य दीपक फिर से जला सकें.

मित्रों, प्रभु शरणम् एप्प को प्रयोग करते हुए हाल के दिनों में आपको कई तकनीकी परेशानियां आई होंगी. हमने उन्हें दूर करके आपके एप्प में ऐसी कई और नई चीजें डाली हैं जो आपको सुखद लगेंगी.

बस दो दिनों का इंतजार और. प्रभु शरणम् के साथ आशा का दीपक जलाए रखें.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

शत्रु यदि वीर है तो उसकी वीरता का भी होना चाहिए पूरा सम्मानः आज के गीता ज्ञानअमृत में प्रथम अध्याय के श्लोक 5 व 6 का दर्शन

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लेटेस्ट कथाओं के लिए प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करें।google_play_store_icon
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”।।

श्रीमद् भगवद्गीता के प्रथम अध्याय के प्रारंभिक श्लोकों में युद्ध आरम्भ होने से पूर्व के “दुर्योधन-द्रोण संवाद” का वर्णन है, जिसे सुनने की इच्छा धृतराष्ट्र ने व्यक्त की है।

श्लोक संख्या एक से छह में दुर्योधन द्वारा पांडव सेना का निरीक्षण और पांडव सेना के वीर योद्धाओं का बखान है.

कल तक हमने प्रथम अध्याय के एक से चार श्लोकों तक की व्याख्या और उसका दर्शन समझने की कोशिश की.

आज श्लोक संख्या पांच एवं छह में दुर्योधन द्वारा पांडव पक्ष के कई अन्य ऐसे वीरों का बखान देखेंगे.

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भक्त के लिए विधि का विधान बदल देते भगवान, दिनभर हरिनाम रटने वाले नारद से ज्यादा एक महात्मा को मिला सम्मानः रोचक हरिकथा

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एक दिन नारद जी विष्णु लोक को जा रहे थे. रास्ते में एक संतानहीन दुखी आदमी मिला. उसने नारदजी की खूब प्रशंसा की. नारदजी प्रसन्न हो गए.

उन्हें खुश देखकर उस आदमी ने कहा- नारदजी आप चाहें तो क्या संभव नहीं. अगर आप मुझे आशीर्वाद दे देंगे तो मुझे संतान प्राप्त हो जाए.

नारदजी ने कहा- मैं भगवान श्रीहरि के पास जा रहा हूँ. उनसे तुम्हारा मनोरथ बताउंगा. उनकी जैसी इच्छा होगी लौटते हुए बताऊँगा.

नारद ने भगवान से उस व्यक्ति के संतान सुख के लिए कहा तो प्रभु ने यह कहते हुए टाल दिया कि उसके पूर्वजन्म के ऐसे कर्म ऐसे हैं कि अगले कई जन्मों तक उसे संतान नहीं होगी.

अब नारदजी क्या कहते. उन्होंने उस व्यक्ति के सामने जाना भी उचित नहीं समझा. रास्ता बदलकर निकल लिए.

इतने में एक दूसरे महात्मा भी विष्णुलोक के लिए उधर से निकले. उस व्यक्ति ने उनसे भी संतान के लिए प्रार्थना की.

उन्होंने आशीर्वाद दिया और नौ महीने बाद उसके घर में संतान पैदा हुई. कई साल बाद वह व्यक्ति फिर नारदजी से टकराया.

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कर सकूं कुछ मैं भी कुछ राम का काज, आस में रहे सैकड़ों वर्ष गिद्धराजः आज की रामकथा में जटायु के भाई संपाति की कथा

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श्रीराम की सहायता से राजगद्दी पाकर सुग्रीव आमोद-प्रमोद में ऐसे डूबे कि वह भूल गए कि उन्होंने सीताजी को खोजने में श्रीराम की सहायता का वचन दिया है.

लक्ष्मणजी द्वारा चेतावनी देने के बाद सुग्रीव ने वानर वीरों की टोली सीताजी की खोज में भेजी.

सुग्रीव ने युवराज अंगद की अगुवाई में सीताजी का पता लगाने के लिए हनुमान, जामवंत, नल-नील की टोली को दक्षिण दिशा में भेजा था.

यह टोली चलते-चलते सागर तट तक आ गई. सुग्रीव द्वारा दिया समय समाप्त होने को था लेकिन लेकिन सीताजी का कोई अता-पता न मिला.

हारकर वानर वीरों ने सोचा इस तरह असफल होकर लौटने से अच्छा हैं वे यहीं प्राण त्याग दें. सारे वानरों ने अन्न-जल त्यागा और सागर तट पर बैठ गए.

पास की एक गुफा से एक वृद्ध गिद्धराज संपाति वानरों के प्राण त्यागने की प्रतीक्षा में बैठे देवों का आभार व्यक्त करते थे कि उन्होंने इतना आहार भेजा है.

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निजी जीवन, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और प्रेम के लिए कैसा रहेगा जनवरी 2015. जनवरी मास का विस्तृत राशिफल

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मेषः

यह माह आपके लिए उतार-चढ़ाव से भरा है. आलस्य से बचिए और प्रयास शुरू कीजिए. मित्रों या परिजनों पर बहुत ज्यादा निर्भरता छोड़िए. शत्रु पक्ष प्रबल है. शनि की ढैय्या के कारण पारिवारिक मतभेद भी हो सकता है. अगर आपने सावधानी न बरती तो फिजूल कलह के कारक बन जाएंगे और मान-सम्मान गिरेगा. आपके लिए अच्छी बात यह है कि महीने के मध्य से चीजें सामान्य होने लगेंगी.

शिक्षाः पहले पखवाड़े में तो बहुत ज्यादा मेहनत होने वाली है. दूसरे पखवाड़े से सुधार होगा. लेखन व प्रकाशन से जुड़े लोगों को बहुत संघर्ष करना पड़ सकता है लेकिन कुछ प्रभावशाली लोगों के साथ मुलाकात होगी जिससे रास्ते खुलेंगे.

स्वास्थ्यः जीवनसाथी की सेहत खराब होने से थोड़ी परेशानी होगी. वाहन चलाते या सड़क पर चलते समय विशेष सतर्कता बरतें.

व्यवसायः इस महीने पैसे के मामले में आपका हाथ बहुत खुला है. निवेश या खर्च की अधिकता रहेगी. कुछ फिजूल खर्च भी हो सकते हैं. आयात-निर्यात के कारोबारियों के लिए अच्छा समय है. कुछ संपत्ति भी खरीद सकते हैं.

दांपत्य व प्रेम संबंधः आप बाहर के तनाव घर में लेकर आएंगे और इस कारण जीवनसाथी के साथ मनमुटाव होगा. यदि आप जीवनसाथी की तलाश में तो समय अच्छा है. प्रेम संबंध भी अच्छे रहेंगे.

सुझावः अगर हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ प्रतिदिन बिना नागा करें तो लाभ में रहेंगे.

 

वृष

जनवरी माह आपके लिए अच्छा गुजरने वाला है. नौकरीपेशा लोगों को तरक्की, प्रोन्नति के साथ ट्रांसफर या किसी तरह का सम्मान मिल सकता है. किसी मांगलिक कार्य या आध्यात्मिक कार्य में सक्रिय रूप से सहयोग करेंगे. मित्रों का सहयोग मिलेगा तो कई काम बनेंगे.

शिक्षाः समय अच्छा है. सफलता का योग बना है. पुरस्कार मिल सकता है या किसी सेमिनार-गोष्ठी में सम्मान मिल सकता है. विदेश यात्रा के अवसर भी मिल सकते हैं.

स्वास्थ्यः चर्म रोग या पेट रोग से पीड़ित लोगों के लिए परेशानी बढ़ने वाली है. पिता के स्वास्थ्य के कारण भी परेशानी होगी. माता-पिता के स्वास्थ्य की चिंता के कारण आपको रक्तचाप की दिक्कत हो सकती है.

व्यवसायः मध्य जनवरी के बाद व्यापार के लिए समय बेहतर है. कहीं से अचानक लाभ भी हो सकता है. आयात-निर्यात के कारोबार के लिए अच्छा समय है. लेकिन व्यापारिक वजहों से किसी निकट संबंधी के साथ कलह भी हो सकता है.

दांपत्य व प्रेम संबंधः पत्नी के साथ तनाव हो सकता है. जिनके प्रेम संबंध चल रहे हैं उनके लिए समय अनुकूल है.

सुझावः प्रतिदिन ऊं नमः शिवाय मंत्र का जितना संभव हो जाप करें. सोमवार को शिवजी को कच्चा दूध चढ़ाएं.

 

मिथुन

रोजमर्रा के कामों में बिना वजह दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. आपकी दिनचर्या गड़बड़ है इसका नतीजा यह होने वाला है कि आप ऑफिस और घर के बीच तालमेल नहीं बिठा पाएंगे और कलह होगा. मांगलिक कार्यों जैसे विवाह या गृह प्रवेश में शामिल हो सकते हैं. भागदौड़ के कारण घरेलू तनाव भी बढ़ेगा लेकिन राहत की बात यह है कि महीने के दूसरे पखवाड़े से चीजें सुधरने लगेंगी. जुबान पर नियंत्रण न रख पाने के कारण विवाद होंगे. सतर्क रहें.

शिक्षाः शिक्षा के लिए अच्छा समय है. अगर बहुत दिनों से नौकरी की तलाश में हैं तो समय अच्छा है. बात बन सकती है.

स्वास्थ्यः पेट और पीठ की परेशानी से पीड़ित हो सकते हैं. माता का स्वास्थ्य भी खराब रहेगा. संतान सुख का योग है.

व्यवसायः व्यापार के लिए अनुकूल समय है. भूमि-जायदाद खरीदते समय विशेष सतर्क रहें आपके साथ धोखा हो सकता है. मास के अंत में खर्च बढ़ने से चिड़चिड़े हो सकते हैं. व्यापार को बढ़ाने के लिए कुसंगति न करें, आगे समस्या हो सकती है.

दांपत्य व प्रेम संबंधः दांपत्य संबंध मधुर रहेगा. नए प्रेम संबंध हो सकते हैं.

सुझावः प्रतिदिन गणेशजी की पूजा करना अपनी आदत में शामिल कर लें तो बेहतर है.

 

कर्क

महीने के आरंभ में मानसिक तनाव हो सकता है. भावुक होने से बचें. परिजनों से मतभेद हो सकता है. किसी धोखाधड़ी के शिकार भी हो सकते हैं इसलिए विशेष सतर्क रहें. अनावश्यक भाग-दौड़ रहेगी. नौकरीपेशा लोगों के लिए समय ठीक-ठाक है. भोग-विलास की प्रवृति या कुसंगति से बचें.

शिक्षाः कठिन परिश्रम करना पड़ेगा. लेखन-प्रशासन के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग अरुचि के शिकार होंगे.

स्वास्थ्यः चोट-चपेट लगने की आशंका है. वाहन चलाते समय विशेष सतर्क रहें. संतान के स्वास्थ्य में कमी आएगी.

व्यवसायः व्यापार के लिए दूसरा पखवाड़ा ज्यादा अच्छा है. मित्रों का सहयोग मिलेगा.

दांपत्य व प्रेम संबंधः दांपत्य सुख अच्छा है. संतान का योग है. प्रेम संबंधों में मिठास आएगी.

सुझावः शिवजी की पूजा करें. सोमवार को कच्चा दूध चढ़ाएं.

 

सिंह

आपके लिए समय अनुकूल है. आध्यात्मिक और मांगलिक कार्य होंगे और मन प्रसन्न रहेगा. नौकरीपेशा लोगों के लिए समय अच्छा है. प्रशंसा मिल सकती है. किसी विशेष प्रयोजन से यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है जो लाभदायक भी रहेगा. आपको बोलते समय विशेष सावधानी की जरूरत है. समय अच्छा होने का मतलब यह नहीं कि आप डींगे हांककर काम खराब लें. कुसंगति से बचें.

शिक्षाः विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए समय बहुत अच्छा है. प्रतियोगिता परीक्षा का अनुकूल परिणाम हो सकता है. नौकरी का अवसर बनेगा.

स्वास्थ्यः स्वास्थ्य के लिहाज से समय उतना अनुकूल नहीं है. सेहत को लेकर सचेत रहें तो अच्छे समय का सदुपयोग कर पाएंगे. जीवनसाथी की सेहत के कारण चिंता हो सकती है.

व्यापारः कुछ नए काम शुरू हो सकते हैं जो लाभदायक रहेंगे. प्रतिष्ठा बढ़ेगी. साथियों का सहयोग मिलने से व्यापार में तरक्की होगी. लेन-देन को लेकर मन खिन्न हो सकता है, सोच समझकर बोलें.

दांपत्य व प्रेम संबंधः दांपत्य सुख अच्छा है. सोच-विचारकर बोलें. आपकी बात का गलत अर्थ निकल सकता है. प्रेम संबंधों के लिए समय अच्छा है. साथी के प्रति वफादार रहें.

सुझावः सूर्य अराधना करें. रविवार को सूर्य मंत्र का पाठ करें. हो सके तो लाल फूल डालकर सूर्य को जल दें.

 

कन्या

महीने की शुरुआत में समय अच्छा नहीं है. आपमें आलस्य भी बहुत रहेगा जिससे स्थितियां और खराब हो सकती हैं. घर में उग्रता से बचें. जीवनसाथी के साथ वाद-विवाद बढ़ सकता है, विशेष रूप से सचेत रहें. मन उचाट होगा और एकांतवास की इच्छा होगी. समस्या से भागे नहीं, सुलझाने की कोशिश करें. शुभ कार्य बाधित होंगे. वाहन चलाते समय पूरी सावधानी रखें.

स्वास्थ्यः पेट, पैर या पीठ की परेशानी बढ़ेगी. शारीरिक कष्ट होंगे.

शिक्षाः कठिन परिश्रम करना पड़ेगा. खराब स्वास्थ्य या यात्रा के कारण शिक्षा में बाधा आएगी.

व्यवसायः नया व्यापार आरंभ करने से बचें. पुराने कारोबार में तरक्की की उम्मीद है. लेन-देन में लापरवाही न बरतें. पूरा हिसाब लिखित में रखें.

दांपत्य व प्रेम संबंधः दांपत्य संबंध तो तकलीफदेह है. प्रेम संबंधों में खटास आ सकती है, आपको धैर्य की जरूरत है.

सुझावः गणेशजी और शिवजी की आराधना करते रहें. समय अच्छा न हो तो कोताही नहीं करनी चाहिए. सोने से पहले गणेशजी की प्रार्थना को अपनी दिनचर्या में डाल लें तो लाभ होगा.

 

तुला

पूर्व नियोजित कार्यों में अवरोध होगा. राजनीति के क्षेत्र में भी व्यवधान होगा. लेकिन दूसरे पखवाड़े से स्थितियां सुधरेंगी. स्वजनों से खटपट हो सकती है. बोलने में बहुत सावधानी रखनी होगी. अगर गंभीरता बरत सके तो संकट कम होंगे. वाहन चलाते समय या सड़क पर चलते समय विशेष सावधानी रखें. आप साहस से भरपूर रहेंगे और गलत चीजों का विरोध करने को तत्पर रहेंगे.

शिक्षाः कठिन परिश्रम करना पड़ेगा. पढ़ाई के लिए स्थान परिवर्तन भी हो सकता है.

स्वास्थ्यः पैर, घुटने या गुप्तांगों में परेशानी हो सकती है. बीमारियों के कारण खर्च बढ़ेगा.

व्यवसायः व्यापार के लिए समय अच्छा है. कुछ नया प्रयोग करने की प्रवृति रहेगी.

दांपत्य व प्रेम संबंधः दांपत्य जीवन में पहले पखवाड़े में कड़वाहट रहेगी लेकिन दूसरा पखवाड़ा बहुत मधुर रहेगा. संतान योग भी है. इसलिए अगर संतान की इच्छा रखते हैं तो समय सही है. प्रेम संबंधों के लिए समय बहुत अनुकूल नहीं है.

सुझावः शिवजी का ध्यान करें. शुक्रवार को सफेद कपड़े पहनें और स्फटिक की माला पहन सकते हैं.

 

वृश्चिक

साढ़े साती के कारण मन खिन्न रहेगा. मांगलिक कार्यों में बाधा आएगी. मानसिक, आर्थिक और पारिवारिक चिंता के कारण तनाव होगा. भूमि-विवाद से बचें. विरोधी प्रबल हैं इसलिए उनसे निपटने के लिए कुसंगति की ओर झुकाव होगा लेकिन उससे बचें क्योंकि वहां से धोखाधड़ी की आशंका है.

शिक्षाः शिक्षा के क्षेत्र में बहुत संघर्ष रहेगा. स्थान परिवर्तन की संभावना है लेकिन उसमें भी बाधा आएगी.

स्वास्थ्यः स्वास्थ्य मध्यम रहेगा. रक्तचाप या त्वचा संबंधी विकार हो सकता है.

व्यापारः किसी नए काम में हाथ न ही डालें तो अच्छा. पुराने काम से ही धन का आगमन होता रहेगा.

दांपत्य व प्रेम संबंधः दांपत्य संबंध ठीक-ठाक रहेगा. प्रेम संबंधों को लेकर सावधान रहें. कोई गलतफहमी हो सकती है.

सुझावः शनि आराधना करें. संभव हो तो घोड़े के नाल या नाव की कील की अंगूठी पहन लें. मंगलवार का व्रत करें. मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करें. शनिवार को पीपल वृक्ष के नीचे तेल का दिया जलाएं.

 

धनु

यह मास आपके लिए अनुकूल है. मांगलिक कार्यों में आपको अपने आप सहायता मिलेगी. अच्छे और प्रभावशाली लोगों के साथ जान-पहचान होगी जिसका लाभ मिलेगा. मानसिक प्रसन्नता रहेगी. शनि की साढ़े साती शुरू हुई है. आपकी उग्रता में वृद्धि होगी. विनम्र रहने की कोशिश करें. आध्यात्मिक झुकाव होगा. प्रभावशाली लोगों से जान-पहचान होगी. मानसिक प्रसन्नता रहेगी.

शिक्षाः शिक्षा के लिए अच्छा समय. पुरस्कृत हो सकते हैं. शिक्षा के कारण कोई सफल यात्रा भी हो सकती है.

स्वास्थ्यः जीवनसाथी के सेहत के कारण थोड़ी चिंता हो सकती है. आपका स्वास्थ्य ठीक ही रहेगा.

व्यवसायः व्यापार के लिए समय अनुकूल है. जमीन-जायदाद और वाहन की खरीद का योग बन रहा है. शनिवार को वाहन कतई न खरीदें.

दांपत्य व प्रेम संबंधः दांपत्य जीवन सुखद रहेगा. संतान प्राप्ति हो सकती है. प्रेम संबंधों के लिए भी समय अच्छा है.

सुझावः शनिदेव एवं हनुमानजी की पूजा करें. घोड़े की नाल या नाव की कील की अंगूठी पहन लें तो अच्छा है.

 

मकर

यह मास आपके लिए विशेष रूप से अनुकूल है. आप जोश से भरें रहेंगे. मांगलिक कार्य होंगे और मन प्रसन्न रहेगा. किसी उत्सव में शामिल हो सकते हैं. शत्रु से सावधान रहें.

शिक्षाः शिक्षा के लिए समय बहुत सुखद है. पुरस्कार आदि मिलने की संभावना है. मित्रों या गुरुजनों के सहयोग से करियर के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे.

स्वास्थ्यः पहले पखवाड़े में स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. दूसरे सप्ताह में स्वास्थ्य बिगड़ सकता है. माता-पिता के अस्वस्थ होने से थोड़ी परेशानी होगी.

व्यापारः 15 जनवरी तक व्यापार मध्यम फलदायी रहेगा लेकिन उसके बाद अच्छी तेजी आएगी. कहीं से अचानक धन का लाभ हो सकता है.

दांपत्य व प्रेम संबंधः दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा. संतान का भी योग है. प्रेम संबंधों के लिए भी समय अच्छा है.

सुझावः शनिवार को काला वस्त्र धारण करें और दान दें. पीपल वृक्ष के नीचे तेल का दिया जलाएं. हनुमान चालीसा का सोने से पहले पाठ करना अपनी आदत में लाएं.

 

कुंभ

यह महीना मिले-जुले प्रभाव वाला रहेगा. यदि छोटी-मोटी परेशानियों से चिंता होगी तो खुश होने के भी अच्छे बहाने मिलेंगे. फिजूलखर्ची के कारण स्वजनों से मतभेद हो सकता है. दूर के संबंधियों से लंबे समय बाद मिलना हो सकता है. उससे आपको लाभ भी हो सकता है. कोई मांगलिक कार्य हो सकता है. वाहन चलाते समय आपको बहुत ज्यादा सावधानी की जरूरत है.

शिक्षाः शिक्षा के क्षेत्र में समय सही है. लेखन-प्रकाशन के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए अच्छा समय है. प्रोन्नति हो सकती है.

स्वास्थ्यः मिला-जुला रहेगा. एलर्जी की संभावना है.

व्यापारः व्यापार के लिए समय अच्छा है लेकिन उतावलेपन पर नियंत्रण रखें. नए कारोबार की ओर झुकाव हो सकता है.

दांपत्य व प्रेम संबंधः दांपत्य संबंधों के लिए बहुत अच्छा समय है. विवाह के प्रस्ताव आएंगे. प्रेम संबंधों के लिए भी अच्छा समय.

सुझावः शनि व शिवजी की आराधना करें.

 

मीन

आपके लिए यह महीना उतार-चढ़ाव वाला रहेगा. आप अनिर्णय की स्थिति में रहेंगे इसके कारण कार्यों में विलंब होगा लेकिन अपने कुशल प्रबंधन क्षमता के कारण जल्द ही आप सब संभाल लेंगे. किसी भी निर्णय से पहले करीबी लोगों के साथ चर्चा कर लें. भोग-विलास की प्रवृति रहेगी इससे घर में कलह हो सकता है. नौकरी के क्षेत्र में दिक्कत आएगी इसलिए समय के पाबंद रहें.

शिक्षाः शिक्षा में अरुचि रहेगी. पढ़ाई से मन उचटेगा.

स्वास्थ्यः स्वास्थ्य मध्यम रहेगा. रक्त चाप और लीवर संबंधी परेशानी हो सकती है. खाने-पीने पर ध्यान दें.

व्यापारः फिजूल खर्ची बढ़ेगी. आपके स्वभाव की उग्रता आपके व्यापार में भी दिखेगी. दिमाग को शांत रखें.

दांपत्य व प्रेम संबंधः दांपत्य जीवन में परेशानी तो नहीं होगी लेकिन परिवार के प्रति आपमें नीरसता दिखेगी. प्रेम संबंध के लिए समय अच्छा है.

सुझावः हनुमानजी की आराधना करें. सोने से पहले हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करने की आदत बना लें तो अच्छा.

नववर्ष की मंगलकमनाएं

प्रस्तुतकर्ताः

डॉ. नीरज त्रिवेदी, ज्योतिषाचार्य, पीएचडी

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

श्रमणा के जूठे बेर खा लिए थे श्रीराम ने- आज की रामकथा में शबरी का जीवन परिचय

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भील परिवार में जन्मी शबरी का असली नाम था श्रमणा. श्रमणा बचपन से ही श्रीराम की बड़ी भक्त थी.

वन में उसके निवास के पास ही ऋषिय़ों के आश्रम और गुरुकुल थे. गुरुकल के छात्रों को पूजा-अर्चना करते देख उसने पूजा विधि सीख ली.

श्रमणा को जब भी समय मिलता, भगवान श्रीराम भगवान की पूजा-आरती करती. उसकी भक्ति उसके परिजनों को ज्यादा सुहाती न थी.

बड़ी होने पर श्रमणा का विवाह हो गया. अब वह जिस माहौल से आती थी, जाहिर है विवाह भी वैसे ही परिवार में हुआ.

पति के मन के अनुरूप नहीं मिला. ससुराल के लोग अत्यंत अनाचारी और हिंसक प्रवृति के थे.

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बजरंग बली की व्रत विधि और व्रत कथा

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भारत में हनुमान जी को अजेय माना जाता है. हनुमान जी अष्टचिरंजीवियों में से एक हैं. कलयुग में हनुमान जी ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तो पर शीघ्र कृपा करके उनके कष्टों का निवारण करते हैं. मंगलवार भगवान हनुमान का दिन है. इस दिन व्रत रखने का अपना ही एक अलग महत्व है.

मंगलवार व्रत की विधि:

सर्व सुख, रक्त विकार, राज्य सम्मान तथा पुत्र की प्राप्ति के लिये मंगलवार का व्रत उत्तम है. इस व्रत में गेहूँ और गुड़ का ही भोजन करना चाहिये. भोजन दिन रात में एक बार ही ग्रहण करना ठीक है. व्रत 21 सप्ताह तक करें. मंगलवार के व्रत से मनुष्य के समस्त दोष नष्ट हो जाते है. व्रत के पूजन के समय लाल पुष्पों को चढ़ावें और लाल वस्त्र धारण करें. अन्त में हनुमान जी की पूजा करनी चाहिये. तथा मंगलवार की कथा सुननी चाहिये. मान्यता है कि स्त्री व कन्याओं के लिए यह व्रत विशेष लाभप्रद होता है. उनके लिए पति के अखंड सुख व संपत्ति की प्राप्ति होती है.

मंगलवार व्रत की कथा:

एक ब्राम्हण दम्पत्ति के कोई सन्तान न हुई थी, जिसके कारण पति-पत्नी दुःखी थे. वह ब्राहमण हनुमान जी की पूजा हेतु वन में चला गया. वह पूजा के साथ महावीर जी से एक पुत्र की कामना प्रकट किया करता था. घर पर उसकी पत्नी मंगलवार व्रत पुत्र की प्राप्ति के लिये किया करती थी. मंगल के दिन व्रत के अंत में भोजन बनाकर हनुमान जी को भोग लगाने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करती थी. एक बार कोई व्रत आ गया. जिसके कारण ब्राम्हणी भोजन न बना सकी. तब हनुमान जी का भोग भी नहीं लगाया. वह अपने मन में ऐसा प्रण करके सो गई कि अब अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर अन्न ग्रहण करुंगी.

वह भूखी प्यासी छः दिन पड़ी रही. मंगलवार के दिन तो उसे मूर्छा आ गई तब हनुमान जी उसकी लगन और निष्ठा को देखकर अति प्रसन्न हो गये. उन्होंने उसे दर्शन दिए और कहा – मैं तुमसे अति प्रसन्न हूँ. मैं तुझको एक सुन्दर बालक देता हूँ जो तेरी बहुत सेवा किया करेगा. हनुमान जी मंगलवार को बाल रुप में उसको दर्शन देकर अन्तर्धान हो गए. सुन्दर बालक पाकर ब्राम्हणी अति प्रसन्न हुई . ब्राम्हणी ने बालक का नाम मंगल रखा .

कुछ समय पश्चात् ब्राहमण वन से लौटकर आया. प्रसन्नचित्त सुन्दर बालक घर में क्रीड़ा करते देखकर वह ब्राहमण पत्नी से बोला – यह बालक कौन है. पत्नी ने कहा – मंगलवार के व्रत से प्रसन्न हो हनुमान जी ने दर्शन दे मुझे बालक दिया है. पत्नी की बात छल से भरी जान उसने सोचा यह कुलटा व्याभिचारिणी अपनी कलुषता छुपाने के लिये बात बना रही है. एक दिन उसका पति कुएँ पर पानी भरने चला तो पत्नी ने कहा कि मंगल को भी साथ ले जाओ. वह मंगल को साथ ले चला और उसको कुएँ में डालकर वापिस पानी भरकर घर आया तो पत्नी ने पूछा कि मंगल कहाँ है.

तभी मंगल मुस्कुराता हुआ घर आ गया. उसको देख ब्राहमण आश्चर्य चकित हुआ, रात्रि में उसके पति से हनुमान जी ने स्वप्न में कहे – यह बालक मैंने दिया है. तुम पत्नी को कुलटा क्यों कहते हो. पति यह जानकर हर्षित हुआ. फिर पति-पत्नी मंगल का व्रत रख अपनी जीवन आनन्दपूर्वक व्यतीत करने लगे. जो मनुष्य मंगलवार व्रत कथा को पढ़ता या सुनता है और नियम से व्रत रखता है उसे हनुमान जी की कृपा से सब कष्ट दूर होकर सर्व सुख प्राप्त होता है.

मंगलवार के व्रत की आरती:

आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
जाके बल से गिरिवर कांपै । रोग-दोष जाके निकट न झांपै ।।
अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ।।

लंका जारि असुर सब मारे । सियाराम जी के काज संवारे ।।
लक्ष्मण मूर्च्छित पड़े सकारे । लाय संजीवन प्राण उबारे ।।
पैठि पताल तोरि जमकारे । अहिरावण की भुजा उखारे ।।
बाईं भुजा असुर संहारे । दाईं भुजा संत जन तारे ।।
सुर नर मुनि आरती उतारें । जय जय जय हनुमान उचारें ।।

कंचन थार कपूर लौ छाई । आरति करत अंजना माई ।।
जो हनुमान जी की आरती गावे । बसि बैकुण्ठ परमपद पावे ।।
लंक विध्वंस किए रघुराई । तुलसिदास प्रभु कीरति गाई ।।

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

माता ने दिया काशीराज को अभयदान, श्रीराम से युद्ध को तैयार हो गए हनुमान. पंचमुखी हनुमान कथा

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माता ने दिया काशीराज को अभयदान, श्रीराम से युद्ध को तैयार हो गए हनुमान. क्यों हनुमानजी को सीताजी के शरणागत की रक्षा के लिए प्रभु से युद्ध की नौबत आ गई.

नारद मुनि का स्वभाव ऐसा है कि वह झगड़ा सुलझाने से ज्यादा झगड़ा लगाने वाले हैं. काशीनरेश अयोध्या में भगवान श्रीराम के दर्शनों के लिए पहुंचे.

नारदजी भी प्रभुदर्शन को आए थे. नारद ने काशीराज को समझा दिया कि आप दरबार में सबको प्रणाम करना लेकिन वहां बैठे विश्वामित्र को प्रणाम न करना.

काशी नरेश ने कारण पूछा तो नारदजी ने कहा कि प्रभु की ऐसी ही मंशा समझ लो. बाकी का मर्म आपको बाद में बताउंगा.

काशीराज ने नारद के कहे मुताबिर सबको प्रणाम किया लेकिन विश्वामित्र को प्रणाम नहीं किया. विश्वामित्र क्रोधित हो गए.
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श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान

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1. कई एक विद्वान ऐसा कहते हैं कि कर्ममात्र दोषयुक्त हैं, इसलिए त्यागने के योग्य हैं और दूसरे विद्वान यह कहते हैं कि यज्ञ, दान और तपरूप कर्म त्यागने योग्य नहीं हैं |
2. यज्ञ, दान और तपरूप कर्म त्याग करने के योग्य नहीं है, बल्कि वह तो अवश्य कर्तव्य है, क्योंकि यज्ञ, दान और तप – ये तीनों ही कर्म बुद्धिमान पुरुषों को पवित्र करने वाले हैं |
3. जो कुछ कर्म है वह सब दुःखरूप ही है- ऐसा समझकर यदि कोई शारीरिक क्लेश के भय से कर्तव्य-कर्मों का त्याग कर दे, तो वह ऐसा राजस त्याग करके त्याग के फल को किसी प्रकार भी नहीं पाता |
4. जो शास्त्रविहित कर्म करना कर्तव्य है – इसी भाव से आसक्ति और फल का त्याग करके किया जाता है – वही सात्त्विक त्याग माना गया है |

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मंगलवार को हनुमानजी के जरूर जपें ये 12 नाम- कई संकटों के समाधान हैं इन नामों में.

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हनुमानजी ने भगवान श्रीराम का वह कार्य सफल किया जो कोई और नहीं कर पा रहा था. भगवान राम, देवी सीता और शिवजी के आशीर्वाद से हनुमानजी संकट मोचन हैं. सभी कष्टों का निवारण करने वाले हैं. राहु से सूर्यदेव का उद्धार किया. शनिदेव को रावण के कारावास से मुक्ति दिलाई. इसलिए देवताओं तक भयभीत रखने वाले शनिदेव हनुमत भक्तों पर कोप नहीं करते.

मंगलवार को इसका जप अवश्य करना चाहिए.आप दिन में जब भी मौका लगे जितना संभव हो इन नामों का जप करें. हनुमानजी की भक्ति में एक खास बात यह भी है कि उनकी पूजा के लिए विशेष प्रयोजन की जरूरत नहीं होती. आप सफर में हो या विश्राम कर रहे हों-प्रभु के 12 नामों का पाठ मन में या उच्च स्वर में पाठ करे.

हनुमानजी की भक्ति निष्काम है इसलिए उन्हें प्रसन्न करने से सभी देवताओं की कृपा मिल जाती है. हनुमानजी प्रसन्न होते हैं उनके 12 नामों के जप से क्योंकि उन नामों में हनुमानजी के आराध्यों के नाम हैं.

1. हनुमान
2. अंजनीसुत
3. वायुपुत्र
4. महाबल
5. रामेष्ट
6. फाल्गुण सखा
7. पिंगाक्ष
8. अमित विक्रम
9. उदधिक्रमण
10. सीता शोक विनाशन
11. लक्ष्मण प्राणदाता
12. दशग्रीव दर्पहा

नाम जप के लाभः

– नित्य नियम से नाम लेने से इष्ट की प्राप्ति होती है.
– दोपहर में नाम लेनेवाला धनवान होता है.
-दोपहर से संध्या के बीच नाम लेने से पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होती है.
– रात को सोते समय नाम लेने शत्रुओं पर जीत मिलती है.

उपरोक्त समय के अलावा अन्य समयों पर हनुमानजी के बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी दसों दिशाओं एवं आकाश पाताल से रक्षा करते हैं. लाल स्याही वाले नए कलम से मंगलवार को भोजपत्र पर इन बारह नामों को लिखकर मंगलवार के दिन ताबीज बांध लेने से कभी ‍सिरदर्द नहीं होता.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

आज की चौपाई- रामचरितमानस का ज्ञानामृत

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साधु चरित सुभ चरित कपासू। निरस बिसद गुनमय फल जासू॥
जो सहि दुख परछिद्र दुरावा। बंदनीय जेहिं जग जस पावा॥

संतों का चरित्र कपास जैसा है. जैसे कपास की डोडी नीरस होती है, संत का चरित्र भी विषय-वासना से रहित नीरस होता है. जैसे कपास उज्ज्वल होता है, संत का हृदय भी अज्ञान और पाप रूपी अन्धकार से रहित होता है. कपास में गुण (तंतु) होते हैं, इसी प्रकार संत का चरित्र भी सद्गुणों का भंडार होता है.

जैसे कपास का धागा सुई के किए हुए छेद को अपना तन देकर ढँक देता है. लोढ़े जाने, काते जाने और बुने जाने का कष्ट सहकर वस्त्र का रूप लेता है और दूसरों के गोपनीय स्थानों को ढँकता है उसी प्रकार संत स्वयं दुःख सहकर दूसरों के छिद्रों यानी दोषों को ढँकता है.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

बर्बरीक ने बताई थी भीम को नीति की बातें- स्कंदपुराण में वर्णित भीम-बर्बरीक युद्ध प्रसंग

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अज्ञातवास झेल रहे पांडव एक दिन चंडिका देवी के दर्शन को चंडिका स्थान पहुंचे. बहुत थके होने के कारण वे थोड़ा विश्राम करने लगे. भीमसेन को बहुत जोर की प्यास लगी थी.

उन्हें चंडी देवी का कुंड नजर आया. युधिष्ठिर ने भीम को सावधान किया कि अगर हाथ-पैर धोने हों तो कुंड से पानी निकालकर बाहर धोना अन्यथा जल दूषित करने का दोष लगेगा.

भीम प्यास से व्याकुल थे. कुंड देखकर उन्हें युधिष्ठिर की चेतावनी याद नहीं रही. कुंड में प्रवेश किया और हाथ-मुंह धोने लगे. देवी चंडिका के सेवक बर्बरीक ने उन्हें ऐसा करते देख जोरदार आवाज में टोका.

बर्बरीक ने कहा- तुम देवी के कुंड में हाथ-पैर धो रहे हो. इसी जल से मैं देवी को स्नान कराता हूं. क्या जल प्रयोग की गरिमा तुम्हें नहीं सिखाई गई? तत्काल कुंड से बाहर आओ.

भीमसेन बर्बरीक के दादा थे लेकिन दोनों का पहले कभी मेल हुआ नहीं था इसलिए दोनों एक दूसरे को पहचान नहीं पाए.

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दिसंबर माह के विविध शुभ मुहूर्त/ व्रत-त्योहार

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1 दिसंबर (सोमवार)- संतान के नामकरण और अन्नप्राशन के लिए अच्छा मुहूर्त है. फसल कटाई के आरंभ का शुभ समय.

2 दिसंबर (मंगलवार)- गीता जयंती, मोक्षदा एकादशी, सर्वार्थ सिद्धि योग है यानी हर शुभ कार्य का आरंभ कर सकते हैं.

3 दिसंबर (बुधवार)- सोने के आभूषण जैसे अंगूठियों को धारण के लिए अच्छा मुहूर्त

4 दिसंबर (बृहस्पतिवार)- प्रदोष व्रत

5 दिसंबर (शुक्रवार)- व्रत पूर्णिमा

6 दिसंबर- स्नान-दान पूर्णिमा

9 दिसंबर- गणेश चतुर्थी (संकष्टि पूजा)

14 दिसंबर- सर्वार्थ सिद्धि योग यानी सभी कार्यों के लिए शुभ तिथि

16 दिसंबर- सूर्य का धनु राशि में प्रवेश (खरमास प्रारंभ). सूर्य 16 दिसंबर से 15 जनवरी तक धनु राशि में रहेगा. इस दौरान शुभ कार्य आरंभ करना
वर्जित हैं. फसल कटाई या रोपाई का कार्य आरंभ किया जा सकता है.

18 दिसंबर- सफला एकादशी (विष्णु पूजन)

19 दिसंबर- प्रदोष व्रत

20 दिसंबर- मास शिवरात्रि व्रत

22 दिसंबर- सोमवती अमावस्या

25 दिसंबर- पंचक नक्षत्र आरंभ

26 दिसंबर- विनायक श्रीगणेश चतुर्थी व्रत

30 दिसंबर- पंचक समाप्ति

प्रस्तुतकर्ताः
डॉ. नीरज त्रिवेदी
(ज्योतिषाचार्य, पीएचडी) बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

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शनिवार के व्रत की कथा- शनि अमावस्या पर इसका पाठ करना उत्तम है.

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एक बार सूर्य, चंद्रमा, मंगल,बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहू, केतु इन सब ग्रहों में आपस में विवाद हो गया कि हममे से सबसे बड़ा कौन है. सब अपने को श्रेष्ठ बताते थे. जब आपस में कोई निर्णय नहीं हो सका तो वे देवराज इंद्र के पास पहुंचे. सभी ने इंद्र से यह निर्णय करने को कहा कि नवग्रहों में श्रेष्ठ कौन है.

इंद्र इस प्रश्न से असमंजस में पड़ गए. उन्होंने अपनी बला टालते हुए कहा- मुझमे यह सामर्थ्य नहीं है कि मै ग्रहों में से किसी के छोटा या बड़ा होने का निर्णय कर सकूँ. धरती पर सर्वश्रेष्ठ परमार्थी राजा विक्रमादित्य जो दूसरों के कष्टों का निवारण करने वाले है. आप सब उनके पास जाएं. शायद वह इसका निवारण कर सकें.

सभी ग्रह-देवता देवलोक राजा विक्रमादित्य की सभा में उपस्थित हुए और अपना प्रश्न राजा के सामने रखा.
राजा विक्रमादित्य ग्रहों की बाते सुनकर गहन चिंता में पड़ गए. वह भी निर्णय नहीं कर पा रहे थे कि किसे छोटा और किसे बड़ा कहें. उन्हें भय था कि जिसे वह छोटा कहेंगे उसके क्रोध का शिकार बनना पड़ेगा.

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