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वह अवनति करने लगा. उसे दुःख और अशान्ति मिलने लगी. तुम मनुष्य की वह भूल सुधार लो तो तुम्हारी उन्नति होगी. तुम्हें सुख-शान्ति मिलेगी. जगत में तुम्हारी प्रशंसा होगी.
तुम्हें करना यह है कि अपने पड़ोसी और परिचितों के दोष देखना बंद कर दो और अपने दोषों पर सदा दृष्टि रखो. संत कबीर ने सारी परेशानियों को हल करने का मूलमंत्र दिया है.
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना मुझसा बुरा न को.
यह प्रेरक कथा रामकुमार ओझा जी ने गुना मध्य प्रदेश से भेजी. रामकुमारजी पेशे से स्वव्यवसायी हैं और धार्मिक-आध्यात्मिक चर्चाओं में सक्रियता रखते हैं. इनकी भेजी कथाएं पूर्व में भी कई बार प्रकाशित हो चुकी हैं.
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.बहुत सुन्दर ……..अभिनन्दन
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