उसने वेश्या को सारी बातें बताई और फिर पूछा- देवी! आप धन्य हैं. आपके कर्म तो सबसे नीच कर्मों में आते हैं फिर भी आपके पास इतना संचित पुण्य कैसे था, यह घोर आश्चर्य की बात है. मैं जानना चाहता हूं कि कौन सा पुण्य आपने मुझे दान किया था?
वेश्या ने एक तोते की ओर इशारा करके कहा- वह तोता प्रतिदिन कुछ पढ़ता है. उसे सुनकर मेरा मन पवित्र हो गया. वही पुण्य मैंने तुम्हें दान कर दिया था.
सुशर्मा के आश्चर्य का तो कोई अंत ही रहा. एक स्त्री ने उस पुण्यफल का दान किया जिसके बारे में उसे पता तक नहीं है और वह पुण्य इतना प्रभावी है कि उसकी अधम योनि ही बदल गई.
उसने तोते को आदरपूर्वक प्रणाम किया और उसके ज्ञान का रहस्य पूछा. तब तोते ने अपने पूर्वजन्म की कथा सुनाई.
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तोता बोला- पूर्वजन्म में मैं विद्वान होने के बावजूद अभिमानी था और सभी विद्वानों के प्रति ईर्ष्या रखता था. उनका अपमान और अहित करता था.
मरने के बाद मैं अनेक लोकों में भटकता रहा. फिर मुझे तोते के रूप में जन्म मिला लेकिन पुराने पाप के कारण बचपन में ही मेरे माता-पिता की मृत्यु हो गई.
मैं रास्ते में कहीं अचेत पड़ा था. तभी दैवयोग से वहां से कुछ ऋषि-मुनि गुजरे. मुझे इस अवस्था में देखकर उन्हें दया आई और मुनि मुझे साथ उठा लाए.
आश्रम में लाकर मुझे एक पिंजरे में वहां रख दिया जहां विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाती थी.
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JAI GEETA MATA …JAI SHRI HARI …JAI MAA MAHALAKSHMI …JAI PRBHU SHARNAM ..
very nice story
जय श्री राम, बहुत ही पुण्य का काम कर रहे है, सनातन धर्म को समझने के लिए और कलयुग के रोग की शान्ति के लिए हरि कथा से उतम औसधि और क्या है