बैल के हिस्से में सर्वाधिक पुण्य उस वेश्या का दान किया हुआ आया था. उसी वेश्या के किए पुण्यदान के कारण बैल को नर्कलोक से मुक्ति हो गई.

इतना ही नहीं उसी पुण्यफल से पृथ्वी लोक का भोग करने के लिए मानव रूप में जन्म देकर भेजा गया. उसके पुण्य इतने थे कि विधाता ने उससे पृथ्वीलोक पर जाने से पहले उसकी इच्छा भी पूछी. ऐसा सौभाग्य करोड़ों में किसी-किसी धर्मात्मा को ही मिलता है.

इंसान के रूप में जाने से पहले बैल ने मांगा- हे परमात्मा आप मुझे मानवरूप में पृथ्वी पर भेजने का जो उपकार कर रहे हैं उससे मैं धन्य हो गया हूं. अब आपसे और क्या मांगू. बैलयोनि में मेरा जन्म मेरे पूर्व के कर्मों के दंडस्वरूप ही रहा होगा. इसलिए मैं चाहता हूं कि मनुष्य रूप में जाकर मैं उन कर्मों में न पडूं जो मेरा भावी खराब करेंगे. मनुष्य रूप में इसकी आशंका सर्वाधिक है.

परमात्मा ने पूछा- तो बताओ मैं तुम्हारा कैसे प्रिय करूं, अपनी एक इच्छा बताओ.

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उसने मांगा- मुझे बस वह क्षमता प्रदान करें कि मुझे पूर्वजन्म की समस्त बातें स्मरण रहें. उनका स्मरण करके मैं कर्मों से भटकने से स्वयं को रोक सकूंगा. बस इतनी सी कृपा और कर दे.

परमात्मा ने उसकी इच्छा स्वीकार ली और उसे वह योग्यता प्रदान कर दी. पृथ्वीलोक पर आने के बाद उसे पूर्वजन्म स्मरण थे इसलिए उसने सबसे पहले उपकार का फल चुकाने का निर्णय किया.

पृथ्वी पर आकर उसने उस वैश्या को तलाशना शुरू किया जिसके पुण्य से उसे मुक्ति मिली थी. आखिरकार उसने उस वैश्या को खोज ही निकाला.

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3 COMMENTS

  1. जय श्री राम, बहुत ही पुण्य का काम कर रहे है, सनातन धर्म को समझने के लिए और कलयुग के रोग की शान्ति के लिए हरि कथा से उतम औसधि और क्या है

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