सुशर्मा एक घोर पापी व्यक्ति था. वह हमेशा भोग-विलास में डूबा रहता. मदिरा और मांसाहार इसी में जीवन बिताता. एक दिन सांप काटने से उसकी मृत्यु हो गई.

उसे नरक में यातनाएं झेलीं और फिर से पृथ्वी पर एक बैल के रूप में जन्म लिया.

अपने मालिक की सेवा करते बैल को आठ साल गुजर गए. उसे भोजन कम मिलता लेकिन परिश्रम जरूरत से ज्यादा करनी पड़ती.

एक दिन बैल मूर्च्छित होकर बाजार में गिर पड़ा. बहुत से लोग जमा हो गए. वहां उपस्थित लोगों में से कुछ ने बैल का अगला जीवन सुधारने के लिए अपने-अपने हिस्से का कुछ पुण्यदान करना शुरू किया.

उस भीड़ में एक वेश्या भी खड़ी थी. उसे अपने पुण्य का पता नहीं था फिर भी उसने कहा उसके जीवन में जो भी पुण्य रहा हो उसका अंश बैल को मिल जाए.

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बैल मरकर यमलोक पहुंचा. बैल के हिस्से में जमा पुण्य का हिसाब-किताब होना शुरू हुआ तो एक बड़े आश्चर्य की बात हुई. ऐसे आश्चर्य की बात जिसके बारे में यदि धरतीलोक पर किसी व्यक्ति को कहो तो विश्वास ही न करें.

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3 COMMENTS

  1. जय श्री राम, बहुत ही पुण्य का काम कर रहे है, सनातन धर्म को समझने के लिए और कलयुग के रोग की शान्ति के लिए हरि कथा से उतम औसधि और क्या है

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