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एक पेड़ पर दो पक्षी बैठे थे. एक ऊपर की डाल पर दूसरा नीचे की डाल पर बैठा था. ऊपर की डाल पर बैठा पक्षी स्थिर भाव वाला था. अपनी धुन में रहता. एकदाम शांत मिजाज से और संतुष्टि के भाव से भरा हुआ. नीचे वाला पक्षी उससे उलट स्वभाव का था.

वह बड़े चंचल स्वभाव का था. वह कभी इस डाल पर फुदकता कभी उस डाल पर. कभी छोटी सी खुशी मिल जाती तो खुद को बड़ा भाग्यशाली समझने लगता तो कभी छोटी सी परेशानी भी आ जाए तो भाग्य का रोना रोने लगता, नसीब को कोसने लगता.

हर चीज से उसका मन तुरंत भर जाता था. वह तरह-तरह के फलों के पीछे भागता. कभी बहुत मीठे फल मिल जाते तो बड़ा खुश होता, कभी कड़वे फल मिलते तो सभी को कोसने लगता. पेड़ को कोसता, फल को कोसता और कभी-कभी तो ईश्वर तक को कि क्या बेकार की चीजें बना दीं आपने.

एक बार उसने एक फल खाया. फल बहुत कड़वा निकला. वह स्वयं पर झुंझलाने लगा. तभी उसकी नजर ऊपर के डाल पर बैठे पक्षी पर पड़ी. वह पहले ही की तरह स्थिर भाव से बैठा था. उसे बड़ी हैरानी हुई.

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4 COMMENTS

      • आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
        आप नियमित पोस्ट के लिए कृपया प्रभु शरणम् से जुड़ें. ज्यादा सरलता से पोस्ट प्राप्त होंगे और हर अपडेट आपको मिलता रहेगा. हिंदुओं के लिए बहुत उपयोगी है. आप एक बार देखिए तो सही. अच्छा न लगे तो डिलिट कर दीजिएगा. हमें विश्वास है कि यह आपको इतना पसंद आएगा कि आपके जीवन का अंग बन जाएगा. प्रभु शरणम् ऐप्प का लिंक? https://goo.gl/tS7auA

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