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अंतर्वेद में कोई बड़ा बुद्धिमान रवि नामक माली रहता था. स्वभाव से साधु और धर्मनिष्ठ, पूजा पाठ करने वाला था साथ ही परिश्रमी भी था. रवि ने एक बहुत बड़ा बागीचा लगाया.
वह मूलत: तुलसी का बागीचा था पर उसमें मौलश्री, मल्लिका, बकुल, इस प्रकार के बहुतेरे सुगंध देने वाले पुष्प भी थे. तुलसी की अधिकता के चलते उस वाटिका को नाम दिया वृंदावन. बागीचा बहुत ही मनोहर था.
रवि ने अपने बागीचे के चारों और बडी अभेद्य और न लांघे जाने वाली सुदृढ घेराबंदी खड़ी करायी थी. उसके भीतर बागीचे के एक छोर पर अपना घर बनाया और ऐसा प्रबंध किया था कि कोई बिना घर में प्रवेश किये बागीचे में नहीं जा सकता था.
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