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ज्योतिषशास्त्र में कुछ ऐसे संयोगों के निर्णय के समय और मान्यताओं के बारे में उपयोगी बात बताई गई है. ये आपके जीवन से सीधा संबंध रखते हैं.
उनका विचार और पालन बहुत मुश्किल नहीं है. तो क्यों न उनको आजमाकर अशुभ प्रभावों की आशंका को समाप्त कर लिया जाए. आज मैं ऐसे ही शास्त्रसम्मत कुछ सुझाव रख रहा हूं.
विवाह में ज्येष्ठ का संयोग वर्जितः
ज्येष्ठ पुत्र और ज्येष्ठ पुत्री का विवाह ज्येष्ठ मास (मई, जून) में नहीं करना चाहिए. ज्योतिषशास्त्री तीनों ज्येष्ठ के संयोग को शुभ नहीं मानते. इससे बचने की सलाह देते हैं.
शुभ संस्कार में छह माह का हो अंतरः
छह माह के भीतर कोई भी दो संस्कार न करें. जैसे यदि घर में विवाह, मुंडन या जनेऊ जैसा कोई मांगलिक संस्कार हुआ हो तो छह माह के भीतर दूसरा मांगलिक संस्कार करने से बचना चाहिए. ऐसा करने से अशुभ फल का भय हो सकता है.
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