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रंतिदेव का परिवार उसे ग्रहण करने की तैयारी कर ही रहा था कि उसी समय एक ब्राह्मण आए. रंतिदेव ने उस भोजन में से ब्राह्मण को भी खिलाया. बचे हुए अन्न को परिवार ने आपस में बांट लिया.
वे लोग खाने बैठे ही थे कि तभी एक शूद्र आया और उसने प्राणरक्षा के लिए अन्न मांगा. रंतिदेव ने उसे भी भोजन कराया. उसके बाद बचे हुए भोजन को सभी ग्रहण करने की तैयारी करने लगे.
तभी एक अतिथि आया जिसके साथ एक कुत्ता भी था. उसने भी स्वयं के लिए और कुत्ते के लिए आहार मांगा. रंतिदेव ने बचा हुआ सारा भोजन उन्हें दे दिया. अब सिर्फ एक व्यक्ति के लिए पर्याप्त जल बचा था.
रंतिदेव का परिवार उस जल को बांटकर पीने ही जा रहा था कि एक चांडाल आ पहुंचा. उसने कहा मैं अत्यंत पीड़ित हूं. हीन कुल में पैदा हुआ इसलिए किसी ने सहायता नहीं की. मुझे थोड़ा जल ही दे दीजिए.
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Raja RANTIDEV bahut hee dayalu the.unke raj me janta kabhie bhee dukhi nahee huui.raja rantidev ne ram rajya sthapit kiya tha..
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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