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पिप्लाद को बात समझ में आ गई. वह शिवजी के चरणों में गिर पड़े. ध्यान रखें क्रोध एक आंच है. आप ज्यादा समर्थवान हैं तो संभव है दूसरों की ज्यादा क्षति कर सकते हैं लेकिन ध्यान रहे उसकी आंच से आप भी अछूते नहीं रह सकते.
यदि आप शत्रु का शरीर जला देते हैं तो ध्यान रहे कि आग जलाते समय आपके शरीर के भी कुछ उपयोगी रोएं जल जाते हैं जिनपर ध्यान बाद में जाता है और पीड़ा बाद में महसूस होती है.
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