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पिप्लाद ने देवताओं से बदला लेने की ठानी. उसने भगवान शिव की तपस्या शुरू की. शिवजी प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा. पिप्लाद बोले- अपना तीसरा नेत्र खोलकर देवताओं को भस्म कर दीजिए.

भगवान शिव ने समझाते हुए कहा- बेटा अभी तो मैं अपने साधारण रूप में तुम्हारे सामने प्रकट हुआ हूं. मेरे रौद्र रूप को तुम देख नहीं पाओगे. मेरा तीसरा नेत्र खुलते ही सारा संसार नष्ट हो जाएगा. तुम एक बार फिर सोच लो.

पिप्पलाद बोले- मुझे इस संसार से कोई मोह नहीं है. आप तो बस नेत्र खोलकर देवताओं को भस्म कर दीजिए भले ही साथ में सारा संसार जल जाए. क्रोध से भरे पिप्लाद जिद पर अड़े थे.

शिवजी बोले- तुम्हें सोचने का एक मौका और देता हूं. पहले अपने मन में मेरे रौद्र रूप के दर्शन करो फिर निर्णय करो. पिप्लाद ने हृदय से उनका दर्शन किया तो उन्हें लगा कि वह खुद जल रहे हैं. उनका शरीर कांपने लगा. वह जोर से चिल्लाए.

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