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इसी दहाड़ के साथ उसका जीवन रूपांतरित हो गया. यही बात मनुष्य के संबंध में भी हैं. अगर मनुष्य यह देख ले कि जो बुद्ध में हैं, जो महावीर में हैं, जो सदगुरु में हैं, जो कृष्ण और श्रीराम में हैं वह उसमें भी है.

फिर हमारे भीतर से भी वह गर्जना फूटेगी- अहं ब्रह्मास्मि. मैं ब्रह्मा हूँ. गूंज उठेंगे पहाड़. कांप जाएंगे मन के भीतर घर बनाए सारे विकार और महसूस होगा अपने भीतर आनंद ही आनंद.

ईश्वर ने कभी नहीं कहा, मुझे जपो. वह कहते हैं मैंने मानव अवतार लेकर तुम्हें दिशा दिखाने का प्रयास किया. उसे समझो और अपने भीतर उतारो. तुम मुझसे अलग हो ही नहीं. मैं स्वयं तुम्हारे अंदर आने को लालायित हूं. मन के द्वार तो खोलो.

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

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