October 7, 2025

जो लेते हैं गीता के इस अध्याय का सहारा महादेव स्वयं आकर देने लगते हैं अपने हाथों का सहारा

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लंका दहन कर क्यों पछताए हनुमान, क्यों छोड़ दिए दो महलः आज की रामकथा में लंका दहन प्रसंग

पौराणिक कथाएँ, व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र, गीता ज्ञान-अमृत, श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ने के हमारा लोकप्रिय ऐप्प “प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प” डाउनलोड…

दूसरा अध्याय का माहात्म्य (सांख्ययोग)

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प्रथम अध्याय का माहात्म्य (विषादयोग)

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श्रीरामचरितमानसः विवाह के लिए शिवजी की सहमति, हर्षित सप्तर्षियों का पार्वतीजी के पास जाना

कामदेव को भस्म करने के बाद विलाप करती रति को शिवजी ने वरदान दिया है कि द्वापर में श्रीकृष्ण के पुत्र के रूप में काम का पुनर्जन्म होगा तब जाकर…

श्रीरामचरितमानस- कृष्न तनय होइहि पति तोराः रति को शिव का वरदान- कृष्ण के पुत्ररूप में होगा काम का पुनर्जन्म

बालकांड कामदेव ने निष्काम परमात्मा भगवान भोलेनाथ की समाधि भंग करने के लिए अपने पांच अमोघ बाण चलाए. काम का यह अस्त्र ऐसा अचूक है कि जब वह इसे सिर्फ…

श्रीरामचरितमानस-बालकांडः शिव की क्रोधदृष्टि और कामदेव पल भर में भस्म

देवकार्य के लिए कामदेव शिवजी की साधना भंग करने को सहमत हुए हैं. उन्हें यह आभास भी है कि इस कार्य को करने की चेष्टा में उनका जीवित बचना संभव…

श्रीरामचरितमानस-बालकांडः एहिं तन सतिहि भेंट मोहि नाहीं, सिव संकल्पु कीन्ह मन माहीं

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अर्जुन से अज्ञानता में हुया श्रीराम का अपमान, हनुमानजी ने सबक सिखाया तो देने लगे प्राण रीक्षा में असफल अर्जुन देने चले प्राण, श्रीकृष्ण से मिला जीवनदान

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देवों से शांतनु को मिला दिव्यरथ का उपहार, राजा ने खो दिया उसपर चढ़ने का अधिकारः शांतनु के रथविहीन होने और पुनः रथप्राप्ति की कथा

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श्रीरामचरितमानसः एहि बिधि भलेहिं देवहित होई, मत अति नीक कहइ सबु कोई- देवों को तारकासुर का भय व ब्रह्माजी द्वारा राह सुझाना

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श्रीरामचरिचतमानसः देखहु मुनि अबिबेकु हमारा, चाहिअ सदा सिवहि भरतारा- पार्वतीजी का हठ, महादेव की परीक्षा

कल हमने चर्चा की थी कि श्रीराम के आग्रह पर शिवजी विवाह को तैयार हुए हैं. आज से मैं रामचरितमानस के दोहे और चौपाइयों को एक प्रसंग के रूप में…

श्रीरामचरितमानस-बालकांडः बहुबिधि राम सिवहि समुझावा, पारबती कर जन्मु सुनावा- श्रीरामजी द्वारा शिवजी को विवाह के लिए समझाना

याज्ञवल्कय ऋषि पार्वतीजी के तप का वर्णन सुनाने के बाद भरद्वाज मुनि से शिवजी के चरित का बखान कर रहे हैं. शिवजी जगत के सर्वश्रेष्ठ संन्यासी हैं. वह पृथ्वी पर…

सीता माता का निंदक धोबी, न घर का रहा न घाट का, भगवान को रचना पड़ा अलग साकेत लोक

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भीष्म का वचन रख, अर्जुन के बचा लिए प्राणः एक लीला में दोनों काम कर गए श्रीभगवान

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श्रीरामचरितमानस-बालकांडः भै जगबिदित दच्छ गति सोई, जसि कछु संभु बिमुख कै होई यानी शिवद्रोही की गति दक्ष सी ही होती है

महादेव के मना करने के बाद भी सतीजी पिता दक्ष के यज्ञ में शामिल होने गई हैं. दक्ष को महादेव से बैर हो गया है. इसलिए वह अपनी पुत्री तक…