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ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि शार्क बाकी मछलियों की लिए एक चुनौती की तरह थी. उसकी मौज़ूदगी बाक़ी मछलियों को हमेशा चौकन्ना रखती. अपनी जान बचाने के लिए वे हमेशा सतर्क रहती थीं. इसीलिए कई दिन तक टैंक में होने पर भी उनमें स्फूर्ति ओर ताजापन बना रहता.

आज बहुत से लोगों की ज़िन्दगी टैंक में पड़ी उन मछलियों की तरह हो गई है जिन्हें जगाने की लिए कोई शार्क जैसी चुनौती मौज़ूद नहीं है. यदि आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो अपने जीवन में चुनौतियों से भागने की बजाय उनसे भिड़ना सीखिए.

आप जिस रूटीन के आदि हों चुकें है आपको उससे कुछ अलग़ करना होगा. अपना दायरा बढ़ाना होगा और एक बार फिर ज़िन्दगी में रोमांच और नयापन लाना होगा नहीं तो बासी मछलियों की तरह आपका भी मोल कम हों जाएगा.

लोग आपसे मिलने-जुलने की बजाय बचते नजर आएंगे. अगर आपके जीवन में चुनौतियां हैँ व बाधाएं हैँ तो उन्हें कोसते मत रहिए. कहीं ना कहीं ये आपको ताजा और जीवंत बनाए रखते हैं. इन्हेँ स्वीकारिए और अपना तेज बनाए रखिए.

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प्रभु शरणम्

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