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एक पेड़ पर दो पक्षी बैठे थे. एक ऊपर की डाल पर दूसरा नीचे की. ऊपर की डाल वाला पक्षी स्थिर भाव का था. अपनी धुन में रहता, शांत और संतुष्टि के भाव के साथ. नीचे वाला पक्षी चंचल स्वभाव का था.

वह कभी इस डाल पर फुदकता कभी उस डाल पर. कभी खुद को बड़ा भाग्यशाली समझता तो कभी भाग्य का रोना रोने लगता. हर चीज से उसका मन तुरंत भर जाता.

तरह-तरह के फलों के पीछे भागता. कभी बहुत मीठे फल मिल जाते तो बड़ा खुश होता, कभी कड़वे फल मिलते तो सबको कोसने लगता. पेड़ को, फल को और कभी-कभी तो ईश्वर तक को.

एक बार उसने एक फल खाया. फल बहुत कड़वा निकला. वह स्वयं पर झुंझलाने लगा. तभी उसकी नजर ऊपर के डाल पर बैठे पक्षी पर पड़ी. वह पहले ही की तरह स्थिरभाव से बैठा था.

उसे ऊपर बैठा पक्षी ज्यादा सुखी लगने लगा. उसका अपना मन कड़वा हुआ था इसलिए स्वयं को सबसे दुखी और दूसरे को सबसे सुखी समझ रहा था. उसने दूसरे पक्षी के बारे में सोचना शुरू किया.

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