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स्त्रियां कैसे करें हनुमानजी की पूजाः

हनुमानजी की आराधना से जुड़ा सबसे बड़ा प्रश्न है कि क्या स्त्रियों को हनुमद् आराधना करनी चाहिए? सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि हनुमद् आराधना का अर्थ क्या है. हनुमान का एक अर्थ है अहंकार रहित.

हनुमानजी की कृपा सिर्फ आसुरी प्रवृति के इंसानों, भूत-प्रेतों, दूसरों का अनिष्ट चाहने वालों को नहीं मिलती. शेष सभी जन उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं. इसलिए स्त्रियों के लिए हनुमानजी की पूजा पर प्रतिबंध का प्रश्न ही नहीं. हां स्त्रियों को हनुमानजी की आराधना से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

स्त्रियां कर सकती हैं हनुमानजी की पूजा-आराधना:-

हनुमानजी की उपासना के संदर्भ में एक आम भ्रम है महिलाएं उनकी पूजा नहीं कर सकतीं. यह सत्य नहीं है. महिलाओं के लिए हनुमानजी की साधारण पूजा वर्जित नहीं है. बस रजस्वला स्थिति में पूजा करना मना है. रजस्वला अवस्था में तो किसी भी तरह की पूजा वर्जित है.

हनुमानजी की साधना और विशेष पूजा की प्रक्रिया लंबे अवधि की होती है. कई साधनाएं 40 से ऊपर दिनों की हैं जिसे महिलाएं नहीं कर सकतीं हैं क्योंकि बीच में व्यवधान उत्पन्न हो जाते हैं.

इसलिए हनुमानजी की विशेष साधना केवल पुरुष ही कर पाते हैं. इसी बात को आधार बनाकर भ्रम फैलाया गया है. हनुमानजी को पिता सदृश विचारकर सामान्य पूजा स्त्रियों को जरूर करनी चाहिए. हनुमानजी भय और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति दिलाते हैं.

स्त्रियों के लिए हनुमानजी को उपवस्त्र यानी लंगोट समर्पित करने की मनाही है. वे केवल जनेऊ चढ़ा सकती हैं. हनुमानजी को स्त्रियों द्वारा सिंदूर चढ़ाने से पूर्णरूप में मनाही की बात भी कहीं स्पष्ट नहीं मिलती, इस पर मिले-जुले विचार हैं.

हनुमानजी ने स्वयं माता सीता के हाथों से सिंदूर लेकर अपने शरीर पर लेप लिया था. शायद इस कारण अधिकांश मंदिरों में स्त्रियों को सिंदूर चढ़ाने से रोका जाता है.

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