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एक गरीब बुढ़िया उसके बंगले में आ गई. उसे देख वह व्यक्ति चिल्लाया- ऐ बुढ़िया कहां चली आ रही है बिना पूछे.
बुढ़िया ने बताया कि उसके सिर से छप्पर उड़ गया है. वह कुछ देर के लिए वहां रहना चाहती है. लेकिन उस व्यक्ति ने उसे बुरी तरह डांटा.
बुढ़िया ने फिर विनती की. गरीब पर तरस खाओ. मेरा कोई आसरा नहीं है. इतनी तेज बारिश में कहां जाऊंगी? थोड़ी देर की ही तो बात है. किसी कोने में पड़ी रात काट लूंगी.
लेकिन अमीर व्यक्ति को जरा भी दया न आई. उसने नौकरों से धक्के मरवाकर बुढ़िया को घर से बाहर करा दिया.
जैसे ही सेवकों ने उस महिला को दरवाजे के बाहर फेंका, जोरदार बिजली कौंधी. देखते ही देखते उस व्यक्ति का मकान जलकर खाक़ हो गया.
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