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मंत्री विलक्षण बुद्धि का था. वह इधर-उधर के सोच-विचार में समय न खोकर सीधा व्यापारी से मैत्री गाँठने पहुंचा. व्यापारी से मित्रता करने के बाद उसने पूछा- मित्र तुम चिन्तित क्यों हो? भारी मुनाफे वाले चन्दन का व्यापार करते हो, फिर चिंता कैसी?
व्यापारी बोला- मेरे पास उत्तम कोटि के चंदन का बड़ा भंडार जमा हो गया है. चंदन से भरी गाडियां लेकर अनेक शहरों के चक्कर लगाए पर नहीं बिक रहा है. बहुत धन इसमें फंसा पडा है. अब नुकसान से बचने का कोई उपाय नहीं है.
व्यापारी की बातें सुनकर मंत्री ने पूछा- क्या हानि से बचने का कोई उपाय नहीं? व्यापारी हंसकर कहने लगा- अगर राजा भोज की मृत्यु हो जाए तो उनके दाह-संस्कार के लिए सारा चन्दन बिक सकता है. अब तो यही अंतिम मार्ग दिखता है.
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