[sc:fb]
उन्होंने प्रभु से जयंत को दिए अभयदान की बात कही और उसके प्राण न लेने का अनुरोध किया. भगवान पसीज गए.
उन्होंने कहा कि बाण को दंड देने का आदेश मिला था और वह बिना दंड दिए वापस नहीं हो सकता. इसलिए इसे अंगभंग का दंड मिलता है. बाण के प्रहार से जयंत की एक आंख फूट गई.
कहा जाता है कौए इसी कारण काने होते हैं. हनुमानजी ने लंका दहन के बाद लौटते समय देवी से पहचान चिह्न मांगा.
सीताजी ने अपना चूड़ामणि देते हुए कहा- आप प्रभु को याद दिलाना कि जब जयंत ने मेरे शरीर पर छोटा सा आघात किया था तो रधुनंदन के तीर ने जयंत का तीनों लोकों में पीछा करके दंडित किया था.
देवी बोलती रहीं- रावण ने हरण कर लिया फिर भी रघुनंदन मेरी सुध नहीं लेते? यदि एक माह के भीतर उन्होंने रावण को दंडित कर मुझे मुक्त नहीं कराया तो मैं अग्नि कुंड में कूदकर प्राण दे दूंगी.
संकलन व संपादनः राजन प्रकाश
धर्म प्रचार के इस मिशन से जुड़िए. नीचे एप्प का लिंक है उसे क्लिक करके एक बार एप्प को डाउनलोड जरूर करें और देखें. नहीं पसंद आए तो डिलिट कर देना पर बिना देखे किसी चीज का मूल्यांकन हो सकता है क्या!!
अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प. लेटेस्ट कथाओं के लिए प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करें.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
ये भी पढ़ें-
श्रीराम के दरबार में ये कैसा दंड
हिरणी के शाप से बाघ बन गए राजा प्रभंजन, नंदा के उपदेश से हुई शापमुक्ति
माता को प्रसन्न करने के लिए किस तिथि को चढ़ाएं कौन सा प्रसाद