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जांचा परखा गया तो उस दिन साधु को दिए वस्त्रदान का पुण्य दिखा. वह पुण्य बढ़ता-बढ़ता अनंत योजन लंबी साड़ी का रूप ले चुका था जिसे चुकता करने भगवान पहुंच गए. द्रौपदी की सहायता को.
दुःशासन खींचता गया और द्रौपदी के पुण्यस्वरूप जमा हजारों गज कपडा बढता गया. संभव है यह कथा एक क्षेपक कथा हो.
आप इसे स्वीकार करें या न करें किंतु इस बात से कोई मना नहीं कर सकता कि अच्छे कर्म इंसान का सदैव साथ देते हैं.
दूध से दही जमने में समय लगता है. उस दही को मथकर उसका सार तत्व मक्खन निकालने में और समय लगता है किंतु उस दूध को अगर फाड़ना या बिगाड़ना हो तो एक पल पर्याप्त है.
जो लोग अच्छे कर्म करते हैं उन्हें यह भी संभव है कि सफलता में विलंब हो रहा हो लेकिन ईश्वर देख रहा है. पहले पूर्वजन्म में किए आपके किसी अनुचित कर्मों को काटता है फिर आपको अच्छे कर्मों को परिणाम देता है.
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