अगले पेज पर जानें तिलक के फायदे?
कुमकुम का तिलकः
कुमकुम या रोली को हल्दी और चूना को मिलाकर बनाया जाता है। कुमकुम का तिलक आज्ञा चक्र की शुद्धि करते हुए उसे केैल्शियम देते हुए ज्ञान चक्र को प्रज्जलित करता है। कुमकुम से मस्तिष्क में सेराटोनिन व बीटाएंडोरफिन नामक रसायनों का संतुलन होता है। मेधा शक्ति बढ़ती है तथा मानसिक थकावट नहीं होती साथ ही कुंकुम का तिलक त्वचा रोगों से मुक्ति दिलवाता है। इसलिए कुमकुम का तिलक ही सबसे ज्यादा प्रचलित है।
केशर का तिलकः
केसर ओज को बढ़ाता है। जिसका मस्तिष्क ठंडा शीतल होता है उसको केसर का तिलक प्रज्ज्वलित करता है। त्वरित निर्णय जहां करना हो वहां केसर का तिलक लगाकर जाना चाहिए।
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चंदन का तिलकः
दिमाग को शीतलता प्रदान करते हुए मानसिक शान्ति भी देता है।
भस्मः
वैराग्य की अग्रसर करते हुए मस्तिष्क के रोम कूपों के विषाणुओं को भी नष्ट करता है।
जो भी व्यक्ति बिना तिलक लगाए भोर या संध्या का हवन करता है उसे इसका फल नहीं प्राप्त होता।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि तिलक धारण किया जाता है तो सभी पाप नष्ट हो जाते है सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं। चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है, व्यक्ति संकटों से बचता है, उस पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है, ज्ञानतंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं। यदि वार अनुसार तिलक धारण किया जाए तो उक्त वार से संबंधित ग्रहों को शुभ फल देने वाला बनाया जा सकता है।
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शिखा रखने के धार्मिक महत्व को भी बताये , राम राम जी