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उनकी अर्चना वन्दना से प्रसन्न भगवान शिव ज्योतिर्मय महेश्वर के रूप में अपने वामभाग में पार्वती को लिए, अपने सभी पार्षदों के साथ दिव्यरूप धारण किए हुए वहां तत्काल प्रकट हो गए.
महादेव ने कहा– श्रीराम! आपका कल्याण होगा. आप अफनी इच्छा कहें. भगवान शिव के साक्षात दिव्य दर्शन को प्राप्त कर वहां उपस्थित सभी जीव पवित्र हो गए.
श्रीराम ने पुन: महादेव की स्तुति की और रावण के साथ युद्ध में विजयश्री का वरदान मांगा. भगवान महेश्वर ने कहा– श्रीराम! आपकी सदा जय हो. आप अपने मनोरथ को पूर्ण करेंगे.
भगवान शिव से विजय का वर प्राप्तकर श्रीराम ने महादेव से पुन: प्रार्थना की- हे शिवशंकर! यदि आप मुझपर प्रसन्न हैं, तो संसार के लोगों के कल्याण के लिए आप हमेशा यहीं निवास करें.
महादेव ने श्रीराम की प्रार्थना स्वीकार कर ली और कहा मैं ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थित होकर यहां सदैव निवास करुंगा. श्रीराम द्वारा स्थापित ज्योतिर्लिंग की प्रसिद्धि रामेश्वर नाम से हुई.
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