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रूद्र का दूसरा अर्थ है जो संपूर्ण दुखों से मुक्त करा दे. सागर मंथन से हलाहल निकला तो उस दुख से मुक्त कराने के लिए स्वयं सृजक रूप ब्रह्मा और पालक रूप श्रीहरि ने महादेव का स्मरण किया. इसलिए सभी एकाकार हैं.

गणपति का वाहन चूहा है, शिव का कंठाहार सर्प है. दोनों बैरी हैं पर महादेव की शरण में शांत भाव से साथ में रहते हैं. शिवभूषण सर्प और शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर बैरी हैं. नीलकंठ में विष है तो चंद्रमौलि रूप में शीश पर चंद्रमा है जो अमृत का प्रतीक हैं.

माता भवानी का वाहन सिंह और भोलेनाथ का बैल, दोनों में बैर. शिव काम को भस्म करते हैं और भवानी कई रूपों में उनकी जंघा पर स्थित हैं, यहां भी परस्पर विरोधी भाव.

तीसरे नेत्र से प्रलय की अग्नि निकलती है तो शीश पर शीतल धारामयी गंगा. प्रजापति यानी सबसे बड़े राजनीतिज्ञ के दामाद हैं परंतु स्वयं भोलेनाथ मस्तमौला. अर्थात परमात्मा के स्वरूप को समझने के लिए परमात्मा में खो जाना पड़ेगा.

शिव के एकादशरूपों के माध्यम से प्रकृति की आवश्यकताओं को और उसके अनुरूप त्रिदेवों द्वारा आपसी सांमजस्य से बनाई व्यवस्था को समझने में थोड़ी सुविधा होगी.

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

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1 COMMENT

  1. Very nice story but I ‘ve one request. Could u plz make a different katha sangrah of Shiv-Shakti related stories in the table of content/ menu like for Bhagwadgeeta, Ramprashnawali etc coz there r very interesting stories related to Mahadev but very less in comparison to that of Narayan n his Avataar related stories. Om Namah Shivay.

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