हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
योगी चलने हुआ तो राजा ने उसे रोक लिया और कहा आप ही राजपुरुष घोषित होने योग्य हैं. योगी ने तो संतोष साध रखा था. इसलिए उसने कहा- यह पद मेरे किसी उपयोग का ही नहीं है.
राजा ने कहा- इसीलिए आपको राजपुरुष बनाना चाहता हूं. राजपुरुष को कई विशेष अधिकार होते हैं. अन्य राज्यों जाने पर भी उसे विशेष अधिकार मिलते हैं. जिसे पद की लालसा ही नहीं वह पद का दुरुपयोग कर ही नहीं सकता.
राजा ने योगी को मना लिया और राजपुरुष घोषित किया. संतोषम् परमं सुखम्. संतोष अनमोल है. कुछ पा लेने की इच्छा, सबकुछ पा लेने की इच्छा में बदल जाती है और ऐसा अंतोष पनपता है कि इंसान बहुत कुछ पाकर भी सबकुछ से हीन ही समझता रहता है.
कुछ पाने की लालसा से मुक्त व्यक्ति के पास कुछ भी न होते हुए ऐसा आभास होता है कि उसके पास कोई कमी नहीं है. जो प्राप्त है वह पर्याप्त है के भाव में वह मानसिक शांति में रहता है.
संकलनः बीर सिंह
संपादनः प्रभु शरणम्
यदि आप भी कोई धार्मिक या प्रेरक कथा भेजना चाहते हैं तो मेल करें askprabhusharnam@gmail.com पर या 9871507036 पर Whatsapp करें. कथा अप्रकाशित और प्रकाशन के योग्य रही तो हम उसे स्थान देंगे.
हम ऐसी कहानियां देते रहते हैं. Facebook Page Like करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page
धार्मिक चर्चा करने व भाग लेने के लिए कृपया प्रभु शरणम् Facebook Group Join करिए: Please Join Prabhu Sharnam Facebook Group