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महात्मा जी नीचे उतरकर उस लड़के के पीछे – पीछे गए। बोले : बेटे रुकना जरा, यह तो बताओ आप हँसे क्यों?

वह लड़का बोला, महाराज, मुझे हंसी इसलिए आई कि सेठजी को प्यास तो लगी ही नहीं थी। वे तो केवल पानी के गिलास का रेट पूछ रहे थे।
महात्मा जी ने पूछा – बेटे, आपको ऐसा क्यों लगा कि सेठजी को प्यास लगी ही नहीं थी।

लड़का बोला – महाराज, जिसे वाकई प्यास लगी हो वह कभी रेट नहीं पूछता। वह तो गिलास लेकर पहले पानी पीता है। फिर बाद में पूछता है कि कितने पैसे देने हैं? पहले कीमत पूछने का अर्थ हुआ कि प्यास लगी ही नहीं है।

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