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रवि रात भर बागीचे में जागता रहा पर किसी के आने के संकेत नहीं मिले. सुबह हुई तो फिर से फूल गायब हो चुके थे. अत्यंत विषाद ले भरा दुःखी रवि घर लौट आया.

रवि भगवान नृसिंह का भक्त था. वह अपने आराध्य देव को बार-बार याद करने लगा और अंजाने में हुए अपराधों के लिए क्षमा मांगने लगा. वह भगवान तक को पुष्प अर्पित नहीं कर पा रहा इसका उसे बड़ा दुख था.

इसी चिंता में व्याकुल रवि को बैठते ही नींद आ गई. नींद में उसे भगवान ने दर्शन दिए और फूल के चोर का पता लगाने की युक्ति बताई. कौन था रवि के वृंदावन का चोर और उससे शांतनु का क्या सरोकार जो नारदजी ने कथा सुनाई.
शेष भाग अगले पोस्ट में पढ़ें कुछ ही देर में…

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

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