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नारद जी ने पूछा- महाराज इसका क्या कारण हो सकता है इसका आपने विचार किया? कोई कारण पता हो तो बतायें जिसका हम समाधान बता सकें.
शांतनु ने कारण जानने में असमर्थता जताई तो नारदजी से प्रार्थना की कि वह अपनी शक्तियों का प्रयोग कर कारण को समझने का प्रयास करें और निवारण भी बताएं. नारद जी ने ध्यान लगाया.
नारदजी ने कहा- राजन आपने भूलवश भगवान विष्णु का निर्माल्य लांघ लिया है जिसके चलते आपकी गति अवरुद्ध हो गई और आप रथ पर चढने में असमर्थ हुए हैं.
शांतनु ने कहा- अंजाने में ऐसा अपराध मुझसे हुआ होगा मुनिवर. कृपा करके इससे मुक्ति का उपाय बताएं. नारद बोले- इस संदर्भ में मुझे एक और घटना की स्मृति है उसकी कथा कहता हूं. ध्यान से सुनो.
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