हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
बलरामजी ने उसकी पूंछ पकड़ी और हवा में एक बार घुमाकर उसे उछाल दिया. वह पेड़ से टकराया और दर्द से कराहने लगा. उसने श्रीकृष्ण को सींग से घायल करना चाहा.

प्रभु ने उसके पेट में इतने से प्रहार किया कि उसकी जिह्वा निकल आई. पीड़ा से कराहता वह अपने असली रूप में प्रकट हो गया और धरती पर गिरकर छटपटाने लगा. प्रभु ने जल्द ही उसे जीवन से मुक्ति देकर उद्धार कर दिया.

सभी ग्वाल-बाल उस भयानक राक्षस को देखकर डर गए लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें हौसला दिया और बताया कि असुर का अंत हो चुका है. ग्वाल बाल हर्ष से नाचने लगे और प्रभु को कंधे पर उठा लिया.

संध्याकाल में लौटकर सबने श्रीकृष्ण के शौर्य की कथा सुनाई. सारे वृंदावन में उनकी प्रशंसा होने लगी. नंदबाबा अपने पुत्र की वीरता की चर्चा से प्रसन्न हो रहे थे लेकिन माता यशोदा के मन में वात्सल्य उमड़ा और अपने पुत्र के लिए चिंतित होने लगीं.

प्रभु माता के वात्सल्य में आनंद विभोर होने लगे.

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

Facebook Page Like करने से लेटेस्ट कथाएँ आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page

धार्मिक चर्चा करने व भाग लेने के लिए कृपया प्रभु शरणम् Facebook Group Join करिए: Please Join Prabhu Sharnam Facebook Group

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here