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जो लोग त्वचा, आंख की परेशानी, हड्डियों और जोड़ों की परेशानी से पीड़ित हैं या पिता-पुत्र के मध्य संबंधों में मधुरता नहीं है तो इस व्रत को करना चाहिए. इससे लाभ होता है.

पुत्र के स्वास्थ्य से पीड़ित माताओं को यह व्रत अवश्य करना चाहिए. सूर्यदेव की कृपा से पुत्र की प्राप्ति में आने वाली बाधा मिटती है. पुत्र के ऊपर आए स्वास्थ्य संबंधी संकटों से रक्षा होती है और पुत्र तेजस्वी होता है.

कैसे करें आराधनाः

सूर्योदय से पूर्व किसी जलाशय, नदी, सरोवर या अगर ये उपलब्ध न हों तो घर में ही स्नान करके उगते हुए सूर्य को जल देना चाहिए.

सूर्यदेव को दिए जाने वाले जल में लाल फूल, लाल चंदन या रोली गुड़ मिला लें.

कर्पूर, धूप, लालपुष्प आदि से भगवान सूर्य का पूजन करें. दीपदान करें. अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान करें एवं भूखों को भोजन कराएं.

आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ विशेष फलदायक होता है.

नमक का त्याग करें. सूर्यास्त के पश्चात शुद्ध मीठा भोजन ग्रहण कर सकते हैं.
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