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ब्रह्माजी ने कहा- मैं तुम्हें यह वरदान देता हूं कि जब इस कल्प का अंत आयेगा. जलप्रलय होगा तब तुम्हें मेरी समूची सृष्टि को भस्म करने का मनचाहा अवसर भी मिलेगा.

तब से ऋषि और्व बड़वानल बन समुद्र में रहते हैं और अपनी ज्वाला से उसका अतिरिक्त पानी भाप बन अकर उड़ाते रहते हैं. इसी कारण समुद्र के जल का तल एक सा बना रहता है और बाढ नहीं आती.

कल्प के अंत में जब और्व यानी बड़वानल समुद्र से निकल समूचे संसार को भस्म करेंगे तो एक तरफ यह आग होगी तो दूसरी तरफ समुद्र में बडवानल न होने से उसका जलस्तर अचानक बढेगा, जल प्रलय आ जायेगा.

संकलनः सीमा श्रीवास्तव
संपादनः राजन प्रकाश

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