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आश्विन शुक्लपक्ष की एकादशी से लेकर देवोत्थान एकादशी तक पहर भर रात्रि रहते जो मनुष्य तुम्हारी तरह भजन और कीर्तन करेंगे मैं उनसे प्रसन्न रहूंगा और वे मुझे प्राप्त कर सकेंगे.
शंखासुर जिन जिन वेदों को हरकर ले गया है मैं शंखासुर का वध करके उन्हें वापस लेकर आउंगा. अब से बीजमंत्र समेत सभी वेद प्रतिवर्ष कार्तिक के महीने में सदा जल में निवास करेंगे. मत्स्य रूप धारणकर मैं जल में जाता हूं. तुम संपूर्ण मुनियों के संग आओ.
इस लोक में जो अच्छे मनुष्य प्रातःकाल स्नान करते हैं वे निश्चय ही अक्षत स्नान के फल को प्राप्त करते हैं. जो कार्तिक में सदाव्रत करते हैं उन्हें हे इंद्र तुम मेरे लोक पहुंचा दिया करो.
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