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परदेसी तो दो हैं- एक जीव और दूसरा पे़ड़ का पत्ता। भाई तुम कौन हो बुढ़िया ने फिर सवाल दागा।
हम तो गरीब हैं- माघ पंडित बोला।
गरीब तो दो हैं- एक तो बकरी का बच्चा और दूसरी लड़की। बुढ़िया ने जवाब दिया। तुम कौन हो?
माता, हम तो चतुर हैं- माघ पंडित बोला।
चतुर तो दो हैं, एक अन्न और दूसरा पानी। तुम कौन हो सच-सच बताओ?
दोनों ने हार मान ली. बुढ़िया के चरण पकड़ लिए. माता हम कुछ भी नहीं जानते। अनभिज्ञ हैं, जानकार तो आप हैं।
तब बुढ़िया बोली- तुम राजा भोज हो और यह पंडित माघ है। जाओ यही उज्जैन का रास्ता है।
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