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उसके बाद जल से निकलकर पवित्र वस्त्र धारण कर प्रातःकाल के कार्यों का संपादन करके श्रीहरि का पूजन कीर्तन करें. तीर्थ औऱ देवताओं का स्मरण करके भक्तिपूर्वक गंध पुष्प और फलों से अर्घ्य दें. वेदपाठी ब्राह्मणों का पूजन करें.

फिर हरिप्रिया तुलसीजी की परिक्रमा करें, पूजन करें और प्रार्थना करें- देवताओं ने प्रथम तुम्हें बनाया, मुनियों ने पूजा इसलिए हे तुलसी आप हमारे पापों का हरण करें. भक्तिपूर्वक ऊपर कही विधियों का पालन करने वाला नारायण की सालोक्यता प्राप्त करता है.
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