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विधवा स्त्री और संन्यासी तुलसी की जड़ की मिट्टी मलकर स्नान करें. परंतु सप्तमी, द्वादशी और त्रयोदशी को आंवला और तिल न लगाएं. स्नान का मंत्र पढें- जिन प्रभु ने देवताओं के कल्याण के निमित्त रूप धारण किया था, वह प्रभु कृपा करके मुझे पवित्र करें.

विष्णु की आज्ञा से इंद्र सहित सब देवता कार्तिक के व्रत रखने वालों की रक्षा करें. व्रती मनुष्य इस प्रकार स्नान करके हाथ में पवित्री धारण कर देव, ऋषि और पितरों का तर्पण करें. कार्तिक मास में तर्पण में जितने तिल होते हैं उतने वर्ष पितर स्वर्ग में वास करते हैं.
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