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सेठ ने कहा- मुझे तुम्हारे जैसे उत्तराधिकारी की ही तलाश है. यह धन मैंने बड़े श्रम से उपार्जन किया. जो व्यक्ति इस गाय और बिल्ली के बीच का फर्क अच्छे से समझ सकता है वही इस धन का सदुपयोग करेगा.
मित्रों यही बात हमारे जीवन पर लागू होती है. बिल्ली हमारे जीवन में लोभ, लालच, कामना, वासना जैसे अवगुणों का प्रतीक है. इसे जितना भी पोषित करेंगे यह अतृप्त ही रहेगी. अनावश्यक-अत्यधिक पूर्ति से इसकी कभी तृप्ति हो ही नही सकती.
इसकी तृप्ति का लोभ दिखाकर ही धर्म आपकी परीक्षा लेगा. वह आपके तरह-तरह से परखेगा. यदि आप उसकी परीक्षा में सफल रहे तो अनंत ऐश्वर्य के स्वामी होंगे. अन्यथा कुछ भी हाथ न रहेगा.
गाय हमारी आत्मा का प्रतीक है. माया के प्रभाव में आत्मा की अनदेखी ही होती है. लालसाएं हमेशा अपनी ओर आकर्षित करती हैं, उसके लिए हम आत्मा का तिरस्कार भी करते जाते हैं.
आत्मा को पोषित करने वाला ही वास्तिवक संपदा का अधिकारी होता है. आत्मा को संतुष्ट करिए जिससे ही सभी आध्यात्मिक और भौतिक सफलता प्राप्त होगी. असली सुख तो आत्मा के सुख में है.
धन-दौलत, लालसा, कामना ये सब माया हैं. उसे एक सीमा में बांधकर रखना होगा.
संकलन व संपादनः राजन प्रकाश
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