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भयभीत हो पास में पेड़ों की ओट में छुप गए. थोड़ी देर बाद भील माँस लेकर आया और शिवलिंग के पास रखकर जाने लगा. ब्राह्मण के क्रोध की सीमा न रही. उन्होंने भील से इस मूर्खता का कारण पूछा तो उसने भोलेपन में सारी बात कह सुनाई.
भील ने ब्राह्मण को धमकाया कि अगर ब्राह्मण ने रात में शिवजी को अकेला छोड़ा तो वह उसकी जान ले लेगा. ब्राह्मण ने कहा कि जो संसार की रक्षा करते हैं उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता नहीं लेकिन भील सुनने को राजी न था.
शिवजी तत्काल प्रकट हुए. उन्होंने भील को हृदय से लगाकर आदेश दिया कि तुम ब्राह्मण को छोड़ दो. मैं अपनी सुरक्षा का दूसरा प्रबंध कर लूंगा. ब्राह्मण ने शिवजी की वंदना के बाद कहा, “प्रभु में वर्षों से आपकी सेवा कर रहा हूँ.
इस जंगल में प्राण संकट में डालकर आपकी पूजा-अर्चना करने आता हूं. उत्तम फल-फूल से भोग लगाता हूँ किंतु आपने कभी दर्शन नहीं दिए. इस भील ने माँस चढ़ाकर तीन दिन तक आपको अपवित्र किया, फिर भी उस पर प्रसन्न हैं.”
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