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महल में रोशनदान खिड़कियां भी इस भय में नहीं बनवाई कि कहीं शत्रु सांप आदि भेजकर उसे न मार डालें. परिजनों को शस्त्र से लैस करके मुख्य द्वार के सुरक्षा की जिम्मेदारी भी खुद ही रखी.

राजा को भरोसा हो गया कि शत्रु उसको मार नहीं सकते. वह दरबार भी कम ही जाता. ज्यादा समय सुरक्षित महल में बिताता. राजकाज मंत्रियों के हवाले हो गया और लूट-खसोट मच गई.
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