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मान लें कि अचानक ईश्वर का मन करें कि वह आपको दर्शन देंगे. ईश्वर हैं दर्शन देते हैं तो साथ में कोई न कोई वरदान भी देते हैं. इसलिए कभी किसी के घर खाली हाथ नहीं जाना चाहिए.
तो अगर ईश्वर हमारे सामने प्रकट हो जाएं और कहें कि एक वरदान दूंगा बस. इसलिए अपनी कोई एक इच्छा बता दो उसे पूरी कर देता हूं. तुम्हें इच्छा सोचने के लिए 10 मिनट का समय देता हूं.
क्या पांच मिनट में आप तय कर पाएंगे कि ईश्वर से एक चीज क्या मांगनी है?
ईमानदारी से मन से पूछकर देखिए. हमारे ख्वाहिशों की लिस्ट इतनी लंबी है कि फिर उसका मोल-तोल करेंगे कि कौन सी ज्यादा जरूरी होगी.
उनके द्वारा दिया समय इसका निर्णय करने में खत्म हो जाएगा कि क्या मांगे. कुछ लोग कहेंगे हम कुछ नहीं मांगते बस उनका आशीर्वाद मांग लेते कि सारे सोचे काम बनते जाएं.
यह है चालाकी का उत्तर. इस चालाकी से बचना होगा. इच्छाओं को कहीं तो ले जाकर रोकना ही होगा. हम बेवजह कलियुग को दोष देते हैं. कलियुग ने कुछ नहीं किया, हमारे बेचैनी ने हमारा बेड़ा गर्क कर रखा है. इस बात को ज्यादा सरलता से आगे समझेंगे. अभी आपको एक सुंदर कथा सुनाता हूं.
एक बार एक राजा अपने देश के पड़ोस में सैर के लिए निकला.
उसने देखा वहां की धरती बहुत उपजाऊ थी, चारों ओर फसलें लहलहा रही थीं. राजा सोचने लगा कि कितना अच्छा होता यदि वह सुंदर और उपजाऊ क्षेत्र उसके राज्य में होता.
उसी देश में एक धनी व्यक्ति रहता था. वह अपने कार्य में इतना अधिक व्यस्त रहता था कि उसे बाहर निकलने व घूमने-फिरने की फुर्सत ही नहीं होती थी.
उसका लंबा-चौड़ा कारोबार था, ढेरों नौकर-चाकर थे और बड़े-से मकान में रहता था. वह भी उस दिन बाहर सैर करने निकला. वहीं पर एक अत्यंत खूबसूरत महल बना था.
धनी व्यक्ति सोचने लगा कि कितना सुंदर महल है, इसके बाहरी खंबे किसी बड़े कलाकार द्वारा बनाए हुए प्रतीत होते हैं. क्या ही अच्छा होता यदि वह उस मकान का भी मालिक होता.
उसी महल में एक सुंदर राजकुमारी रहती थी. उस दिन वह महल की खिड़की पर खड़ी थी. तभी घोड़े पर सवार एक सुंदर नौजवान को उसने जाते हुए देखा.
राजकुमारी की इच्छा होने लगी, काश इसके साथ वह अपना विवाह रचाती.
महल में एक कुत्ता बंधा था. उसने महल के बाहर के कुत्तों को सड़क पर दौड़ लगाते हुए देखा. वह सोचने लगा कि कितना अच्छा होता कि वह भी आजाद होता और सड़कों पर अपनी इच्छा से इधर से उधर फिरता.
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yar bhagwan har cheej deta hi aduri hai to list kabhi khtama hi nhi hoti
अति उत्तम कथा भाई आप से क़रज़ोर विनम्र निवेदन हैं की ऐसी कथाएँ हमारे मेल पे भेजने का कस्त करे