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स्त्री को क्रोध आने लगा. उसके मन में तरह-तरह के प्रश्न आने लगे, कि बुद्ध सचमुच ज्ञानी हैं या ज्ञान की अफवाह फैला रखी है. उसने खीर नहीं डाली. बुद्ध समझ गए.

वह बोले- जिस तरह तुमने गोबर वाले पात्र में खीर डालना अनुचित समझा उसी तरह ज्ञान प्राप्त करने के लिए मन का मैल निकलना जरूरी है, अन्यथा मैल के बीच रहकर ज्ञान स्वयं दुर्गंध फैलाने लगेगा. मेरा यही उपदेश है.
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