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ईश्वर बड़े दयालु हैं. वह पूर्वजन्म के कर्मों का दंड देने के लिए किसी को असहाय बनाकर धरती पर भेज तो देते हैं किंतु उसके कष्टों में स्वयं भी शामिल होते हैं. उसमें वास करके उसके साथ ही वे दुख स्वयं भी उठाते हैं. उसी असहाय के रूप में आपकी परीक्षा लेने भी पहुंच जाते हैं.
तभी तो कहते हैं, न जाने किस भेष में मिल जाए भगवान. इसलिए मन में परोपकार, सेवा और दया का भाव बनाए रखिए. क्या पता किसी दिन ईश्वर ही वेष बदलकर आपके दरवाजे तक आ पहुंचे हों.
संकलन व संपादनः राजन प्रकाश
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