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वह ख़ुशी के मारे झूम उठा. उसे भूख लगी, मन में अच्छे पकवान खाने की इच्छा हुई. कुछ ही पल में उसके सामने पकवान आ गए.

अंगूठी का चमत्कार मालूम पड़ते ही उसने अपने लिए आलीशान घर, नौकर-चाकर आदि तमाम सुविधाएं जुटा लीं. लक्ष्मीजी की कृपा वह सभी साधन संपन्न हो गया.

उसे किसी प्रकार का दु:ख, कष्ट या चिंता नहीं थी. नगर में उसका बहुत नाम हो गया. अमीर बनते ही उसे गरीबों के कष्ट से क्या वास्ता! उसे अपनी प्रार्थना भी याद नहीं रही.

एक दिन उस नगर में जोरदार तूफ़ान आया. फिर बारिश होने लगी. कई गरीबों के छप्पर उड़ गए. वे आश्रय की तलाश में इधर-उधर भागने लगे.
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