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वह पानी तो पी गया लेकिन उसके चेहरे पर तरह-तरह के भाव दिख रहे थे. बुद्ध ने पूछा- इसका स्वाद कैसा लगा? उसने मुंह में बचा-खुचा पानी जमीन पर थूक दिया.
अजीब से मुंह बनाते हुए वह बोला- भगवन! यह तो बहुत ही खराब था. एकदम कड़वा. बुद्ध उसके चेहरे की ओर देखकर मुस्कराते रहे. फिर उठे और कहा- एक मुट्ठी नमक ले लो और मेरे पीछे-पीछे आओ.
बुद्ध तेजी से चलने लगे और युवक मुठ्ठी में मनक लिए उनके पीछे-पीछे चलता रहा. कुछ और चलकर दोनों एक स्वच्छ और मीठे पानी की झील के सामने पहुंचे तो बुद्ध ने रुकने का इशारा किया.
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