हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
फिर उसने दूसरे पुरूष से पूछा- तुम्हारा नाम क्या है? उसने बताया- मेरा नाम “लोभ” है. आदमी ने लोभ से भी उसका निवास स्थान पूछा.
लोभ ने कहा- मैं मनुष्य के आंख में रहता हूं. आदमी फिर विचार करने लगा. उसने कहा- आंख में तो “लज्जा” रहती है, तुम कैसे रहते हो?
लोभ ने कुटिलता भरे स्वार में कहा- जब मैं आंख में रहने आ जाता हूं तो लज्जा वहां से प्रस्थान कर जाती हैं.
अब तीसरे की बारी थी. उस आदमी ने तीसरे पुरुष से पूछा- तुम्हारा नाम क्या है? जबाब मिला- “भय”. आदमी ने पूछा- “भय” तुम कहा रहते हो?
भय ने बताया- मैं दिल में रहता हूं. वह आदमी फिर से परेशान हो गया. उसने कहा- भाई भय, दिल में तो हिम्मत रहती हैं फिर तुम वहां कैसे रहते हो?
भय ने जवाब दिया- जब मैं दिल में रहने आता हूं तो हिम्मत वहां से नौ दो ग्यारह हो जाती हैं.
वह अब परेशान हो चुका था. उसने चौथे से भी पूछ ही लिया- भाई तुम्हारा नाम क्या है? चौथे ने बताया- मेरा नाम “रोग” है और मैं मनुष्य के पेट में रहता हूं.
उस आदमी ने कहा- पेट में तुम कैसे रहते हो, वहां तो “तंदुरूस्ती” रहती हैं.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.