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चित्रकार ने कहा- मैं अपने अनुभव से कहता हूं कि तुमने शायद किसी मुश्किल का हल पा लिया है. तुम्हारे हौसले ऐसे ही बढ़े रहें इसके लिए मैं यह तस्वीर तुम्हें भेंट करता हूं. तुम इसकी योग्य पात्र हो.

कितनी सुंदर बात है. अवसर हमारे जीवन में दस्तक देते हैं. हम उन्हें पहचान नहीं पाते. इसलिए जीवन में ऐसे मित्र और दूरदर्शी शुभचिंतक बनाइए जो आपको सही समय पर सही मार्गदर्शन दे सकें.

कुरुक्षेत्र में यदि श्रीकृष्ण न होते तो अर्जुन ने इतिहास में अमर होने का अवसर गंवा दिया होता. ऐसा नहीं है कि दोबारा युद्ध कभी होता ही नहीं क्योंकि दुर्योधन की दुष्टता उसे युद्ध के लिए किसी न किसी दिन विवश कर ही देती किसी छोटे युद्ध में दोनों में से कोई मारा ही जाता.

पर कुरुक्षेत्र के युद्ध में गांडीव का प्रयोग कर अर्जुन को धर्मरक्षक बनने का गौरव मिला.

किसी अऩ्य युद्ध में तो वह अपने सम्मान की लड़ाई लड़ता, मारता या स्वयं मर जाता. आवश्यक है कि आप श्रीकृष्ण की संगति में रहें. वीर तो भीष्म भी थे पर किस काम की वीरता!

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