पौराणिक कथाएँ, व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र, गीता ज्ञान-अमृत, श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ने के हमारा लोकप्रिय ऐप्प “प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प” डाउनलोड करें.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
[sc:fb]
बृहस्पति, सुहोत्र, याज्ञवल्क्य, पैल, गोभिल जैसे विख्यात ऋषि तमसा नदी के तट पर पुत्रयेष्टि यज्ञ चल रहा था. कौशल देश के नामी ब्राह्मण देवदत्त संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करवा रहे थे.
देवदत्त के विवाह के लंबे समय बाद भी कोई संतान न हुई. देवदत्त ने सोचा कि विद्वान आचार्यों द्वारा यज्ञ संपन्न कराया जाए ताकि जो पुत्र प्राप्त हो वह तेजस्वी हो.
तेजस्वी पुत्र के लोभ में देवदत्त पूरे यज्ञ पर नजर रखे था. गोभिल ऋषि सामवेद के रथन्तर मंत्र का उच्चारण कर रहे थे. उच्चारण के बीच उनके स्वर कुछ ऊपर नीचे हो गए.
देवदत्त ने देखा तो लगा कि कहीं इस चूक के कारण उनका पुत्र कम प्रतिभाशाली न हो जाए. इसलिए झल्लाकर गोभिल से बोला- मुनिवर! यह यज्ञ उत्तम पुत्र-प्राप्ति के लिए कर रहा हूं. आपने स्वर ही गड़बड़ा दिया.
देवदत्त का टोकना गोभिल ऋषि को बुरा लगा. वह बोले- दुष्ट! सब के शरीर में सांस आती जाती है. इससे सुर भी इधर उधर हो सकते हैं. इसमें किसी क्या दोष? बिना सोचे-विचारे तुमने मेरा अपमान किया.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.
Your comment..prabhu sharma ji itni sundar kataye gyan vardhak bate aapne ham tak pahuchaya iske liye hum aapka aabhar prakat karte hai ..jai siya ram ji
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
आप नियमित पोस्ट के लिए कृपया प्रभु शरणम् से जुड़ें. ज्यादा सरलता से पोस्ट प्राप्त होंगे और हर अपडेट आपको मिलता रहेगा. हिंदुओं के लिए बहुत उपयोगी है. आप एक बार देखिए तो सही. अच्छा न लगे तो डिलिट कर दीजिएगा. हमें विश्वास है कि यह आपको इतना पसंद आएगा कि आपके जीवन का अंग बन जाएगा. प्रभु शरणम् ऐप्प का लिंक? https://goo.gl/tS7auA
Mujhe Satyavrat ka uttar ati uttam laga. Jai Maa Jagadamba