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महर्षि अत्रि और देवी अनुसूया के कोई संतान न थी. दोनों महान तपस्वी थे. अनुसूया का पातिव्रत्य ऐसा था कि उससे स्वयं पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती को ईर्ष्या होती थी.
पति-पत्नी ऋक्षकुल पर्वत पर घोर तप कर रहे थे. त्रिदेवों ने अनुसूया की परीक्षा ली जिसमंा वह सफल रहीं. उन्होंने त्रिदेवों के समान तेजस्वी तीन संतानों का वरदान मांगा.
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